मानव का मोल
मानव का मोल एक योद्धा राजकुमार अपनी प्रजा को केवल राज्य की संपत्ति मानता था। उसके लिए लोगों का मूल्य उनकी उपयोगिता से अधिक नहीं था। एक लंबी यात्रा उसे सिखाती है कि मनुष्य का सच्चा मोल उसकी आत्मा में होता है। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में, भारत के मध्य भाग में, एक अत्यंत शक्तिशाली साम्राज्य था, जिसका नाम 'शौर्यपुर' था। यह राज्य अपनी विशाल सेना और कठोर सैन्य अनुशासन...