छाया का भ्रम
छाया का भ्रम एक वास्तुकार, देवेश, अपनी बेटी की दर्दनाक मृत्यु के बाद अपने पैतृक हवेली में लौटता है। वह जल्द ही अजीबोगरीब आवाज़ें और अपनी बेटी की परछाईयाँ देखने लगता है, जिससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठने लगते हैं। जब देवेश को एक गहरी साज़िश का पता चलता है, तो सच्चाई और कल्पना के बीच की पतली रेखा धुंधली होने लगती है। टूटे हुए सपने देवेश के जीवन...