काल-विग्रह
काल-विग्रह 'ब्रह्म-लोक' आकाशगंगा के केंद्र में, एक समय-अराजकता का महासागर फैल रहा है, जिसे 'काल-शून्यक' कहते हैं। यह एक प्राचीन सभ्यता के ज्ञान के दुरुपयोग का परिणाम है, जो अब एक पागल, समय-निगलने वाले भंवर में बदल गया है। वायुमंत और उसका दल एक ऐसे रहस्य को सुलझाने के लिए यात्रा पर निकलते हैं, जहाँ उन्हें खुद की यादों और अस्तित्व से लड़ना पड़ता है। ब्रह्म-लोक का संकट सौर-संवत्सर 80,000...