कोड 17 : अंतिम मिशन
यह कहानी आधुनिक भारत के एक गुप्त मिशन पर आधारित है, जिसमें देश की सुरक्षा के लिए एक पूर्व कमांडो ‘रणवीर शेरगिल’ और एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ‘आयरा मलिक’ को मिलकर एक खतरनाक मिशन को अंजाम देना है। दुश्मन इस बार बंदूकें नहीं, बल्कि कोड और सैटेलाइट से हमला कर रहे हैं। भारत की सबसे बड़ी रक्षा प्रणाली हैक होने वाली है — और उसे बचाने के लिए सिर्फ़ 72 घंटे हैं। यह कहानी है समय, विश्वास और बलिदान की — जहाँ हर सेकंड मायने रखता है।
शुरुआत : हमला बिना शोर के
मुंबई की एक बरसात भरी रात में आयरा मलिक अपने लैपटॉप के सामने बैठी थी। एक साइबर अपराध विश्लेषक होने के नाते वह एक अजीब कोड के पीछे पड़ी थी जो लगातार भारत सरकार के नेटवर्क को स्कैन कर रहा था। अचानक उसकी स्क्रीन काली हो गई और एक संदेश उभरा —
“17… अंतिम गिनती शुरू।”
उसी क्षण दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के हाई-सेक्योरिटी सिस्टम में सेंध लग गई।
प्रधान मंत्री के विशेष सुरक्षा सलाहकार ने तुरंत एक नाम लिया — “रणवीर शेरगिल।”
रणवीर की वापसी
रणवीर शेरगिल, पूर्व NSG कमांडो, पाँच साल पहले एक मिशन में घायल होने के बाद देश सेवा से अलग हो गया था। वह अब हिमाचल की पहाड़ियों में एक छोटे से गाँव में रहता था, जहाँ बच्चों को आत्मरक्षा सिखाता था।
सरकारी अफसर उसे लाने आए। “देश को तुम्हारी ज़रूरत है, रणवीर। कोड-17 सिर्फ़ एक साइबर हमला नहीं है, ये एक डिजिटल युद्ध है — और यह भारत को घुटनों पर लाने वाला है।”
रणवीर ने आँखें मूँदीं, और हथेली में दबा अपना सेना पदक देखा।
“कब तक हैं हमारे पास?”
“72 घंटे।”
आयरा और रणवीर : विपरीत लेकिन साथ
दिल्ली में एक गुप्त ठिकाने पर आयरा और रणवीर पहली बार मिले।
आयरा: “मैं सोचती थी फौजी सिर्फ़ गोलियाँ चलाते हैं, कोड समझना आपके बस का नहीं।”
रणवीर मुस्कराया: “मैंने गोलियाँ भी चलाई हैं और कोड भी पढ़े हैं, बस फर्क ये है कि एक सीधा मारता है, दूसरा छुपकर।”
उनके बीच शुरू में टकराव होता है, लेकिन धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे की क्षमताओं की कद्र करने लगते हैं।
शत्रु की परछाई : साइबर घोस्ट
कोड 17 को चलाने वाला था — एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय हैकर जिसका कोड नाम था ‘घोस्ट’। वह भारत की रक्षा सैटेलाइट ‘अग्नि-3’ को हैक करके पूरे नेटवर्क को पंगु बनाना चाहता था।
रणवीर और आयरा को पता चलता है कि घोस्ट भारत में ही कहीं छुपा है — और उसका अगला सिग्नल ट्रेस होता है बेंगलुरु की एक परित्यक्त प्रयोगशाला से।
खूनी दौड़ : समय के खिलाफ
दोनों बेंगलुरु पहुँचते हैं। वहाँ उन्हें मिलता है एक सरप्राइज — प्रयोगशाला में बोझिल सन्नाटा है, परंतु दीवारों पर प्राचीन कंप्यूटर, जीते-जागते एआई और कोड की पंक्तियाँ चल रही हैं। आयरा को एहसास होता है — “ये एक ऑटोमैटिक वॉर्म है… इसे रोकने के लिए सिर्फ़ सर्वर बंद करना काफी नहीं होगा… हमें अंदर से कोड तोड़ना होगा।”
रणवीर सुरक्षा देखता है, आयरा को समय देता है। तभी प्रयोगशाला पर हमला होता है — एक निजी मिलिशिया गिरोह, जो ‘घोस्ट’ के लिए काम कर रहा था।
रणवीर अकेले उनसे भिड़ जाता है — हाथों में न बंदूक, सिर्फ़ एक स्टनर और अपने प्रशिक्षण का अनुभव। हर वार की गूंज लैब की दीवारों में होती है।
आयरा, कंप्यूटर से लड़ रही थी — कोड की जंग में, जहाँ एक गलती उसे सदा के लिए डेटा के पाताल में ले जा सकती थी।
अंतिम उलटी गिनती
48 घंटे बीत चुके थे। अब घड़ी में सिर्फ़ 24 घंटे बचे थे। आयरा ने ‘घोस्ट’ के असली चेहरे का पता लगाया — वह कोई और नहीं, बल्कि एक पूर्व भारतीय वैज्ञानिक था, डॉ. निखिल बैनर्जी, जिसे दस साल पहले धोखे से देशद्रोह में फँसाया गया था।
वह सच्चा था, पर ग़लत राह पकड़ चुका था।
रणवीर और आयरा उसे ढूँढकर पूर्वी सिक्किम की पहाड़ियों में बने एक गुप्त अंडरग्राउंड बंकर तक पहुँचे।
डॉ. निखिल बोला, “मैंने देश से विश्वासघात नहीं किया… देश ने मुझसे किया। अब मैं भी उसे देखूँगा घुटनों पर।”
रणवीर ने अपनी छाती पर पड़ा निशान दिखाया — “मेरे भीतर भी घाव हैं, पर मैंने देश से बदला नहीं लिया… क्योंकि देश एक इमारत नहीं, वो हर बच्चा है जिसे तुम अपनी नफरत से जला दोगे।”
आयरा ने वॉर्म के अंतिम कोड को उलटा कर ‘घोस्ट नेटवर्क’ को ही हैक कर लिया।
“तुम्हारे कोड से अब भारत बचेगा… और तुम इतिहास में रहोगे गुमनाम।” — आयरा बोली।
समापन : नया आरंभ
72 घंटे पूरे हुए। कोड-17 निष्क्रिय कर दिया गया। भारत की सुरक्षा प्रणाली बच गई।
डॉ. निखिल को गिरफ्तार कर लिया गया, परंतु उसकी बनाई तकनीक अब भारत की साइबर सेना के उपयोग में लाई गई।
रणवीर शेरगिल सेना में वापस नहीं गया, लेकिन वह देश के जवानों को प्रशिक्षण देने के लिए ‘शेरगिल सेंटर’ शुरू करता है।
आयरा, भारत की साइबर डिफेंस यूनिट की प्रमुख बनती है।
दोनों ने न किसी से प्यार माँगा, न प्रसिद्धि। पर उनकी कहानी अब देश के उन अंधेरे पन्नों में दर्ज है, जहाँ सिर्फ़ कर्म लिखा जाता है — नाम नहीं।
समाप्त।