कांच की खिड़की से
कांच की खिड़की से भाग 1: टूटी धुनों में बसी ज़िंदगी संध्या कक्कड़ हर सुबह स्कूल की म्यूज़िक रूम में हारमोनियम खोलतीं, सुर लगातीं और बच्चों को राग यमन सिखातीं। बच्चों की हँसी, उनकी बेसुरी आवाजें, सब कुछ मानो एक अस्थायी शांति देता था। लेकिन स्कूल की घंटी जैसे ही अंतिम बार बजती,संध्या के चेहरे से वो 'शिक्षिका मुस्कान' उतर जाती। घर लौटते ही शाम को जब वो घर लौटतीं,तो...