अदृश्य दरार
अदृश्य दरार यह कहानी आरोही की है, एक प्रसिद्ध वास्तुकार जो अपने दादाजी के देहांत के बाद अपने पैतृक गाँव, शिलाग्राम, लौटती है। शिलाग्राम अपने प्राचीन पत्थर के मंदिरों और मूर्तियों के लिए जाना जाता था। गाँव का जीवन एक रहस्यमय संकट से पीड़ित है—मंदिरों की शिलाएँ धीरे-धीरे टूट रही हैं और गाँव के कारीगर भुखमरी की कगार पर हैं। गाँव के लोग इसे दैवीय प्रकोप मानते हैं, जबकि आरोही...