भित्ति-चित्रों की जीवंत गाथा
भित्ति-चित्रों की जीवंत गाथा यह कहानी है 'चित्रग्राम' की 'चित्रा' की, जिसने अपने गाँव को फीकी दीवारों, गुम होती पहचान और युवा पीढ़ी में घटती सामुदायिक भावना से जूझते देखा। उसने अपनी दादी से सीखी 'भित्ति-चित्रकला' (दीवारों पर चित्र बनाने की कला) को आधुनिक कला तकनीकों और सामुदायिक कला परियोजनाओं से जोड़ा। सामाजिक रूढ़ियों और व्यावसायिक चुनौतियों को पार करते हुए, उसने न केवल गाँव की दीवारों पर जीवंत कहानियाँ...