जोशी अंकल की डायट
जब वजन घटाना बना राष्ट्रीय संकट
यह कहानी है जोशी अंकल की — जो एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं, जिनकी ज़िंदगी अब सुबह की चाय, दोपहर की नींद, और रात की खाँसी में बीत रही थी। लेकिन एक दिन अचानक उन्होंने एलान कर दिया — “अब और नहीं! अब मैं पतला होकर ही दम लूंगा।” फिर शुरू हुआ जोशी अंकल का डायट मिशन — जिसमें शामिल थे खीरे के टुकड़े, योगा मैट, वीडियो कॉल पर फर्जी ट्रेनर, और मोहल्ले भर के हँसी के फव्वारे। इस हास्य-व्यंग्य कहानी में देखिए कैसे जोशी अंकल का डायट प्लान धीरे-धीरे पूरे मुहल्ले के लिए राष्ट्रीय मुद्दा बन गया।
मोटापे का ऐलान
सुभाष नगर की गली नंबर चार में रहने वाले श्रीनिवास जोशी, उर्फ़ जोशी अंकल, अब 65 वर्ष के थे। उनका वजन भी लगभग उम्र के बराबर था — 96 किलो।
लेकिन उन्हें कभी फर्क नहीं पड़ा, जब तक कि उनके नाती राजवीर ने एक दिन वीडियो गेम खेलते हुए बोल दिया —
“दादाजी, आप तो PUBG में भी फिट नहीं हो सकते!”
ये बात जोशी अंकल के दिल पर ऐसे लगी जैसे LIC का प्रीमियम बढ़ा दिया गया हो।
उसी शाम उन्होंने टीवी पर सलाद खाते किसी मॉडल को देखा, और जैसे बिजली कौंधी —
“अब समय आ गया है… डायटिंग का!”
डायट की पहली सुबह
अगली सुबह जोशी अंकल छत पर योगा मैट लेकर पहुँचे।
पेट बाहर और सांस अंदर खींचते हुए बोले —
“सूर्य नमस्कार से शुरू करते हैं!”
लेकिन जैसे ही उन्होंने झुकने की कोशिश की, नीचे से पजामा फटने की आवाज़ आई, और ऊपर से भाभी जी की हँसी की।
फिर भी जोशी अंकल डटे रहे।
उन्होंने “कपालभाति” किया — एक बार किया, दो बार किया, तीसरी बार पर छींका ऐसा आया कि छत पर सो रहे कबूतर उड़कर सीधा पड़ोसी की बालकनी में जा गिरा।
सुबह का सलाद, दोपहर का भूखा हंगामा
जोशी अंकल ने एलान कर दिया —
“अब से मैं सिर्फ खीरा, टमाटर और लौकी खाऊंगा।”
उनकी पत्नी, शारदा देवी, जो स्वाद में जीती थीं, बोलीं —
“तो अब मैं भी सिर्फ ग़ज़लें सुनूँगी, क्योंकि खाना पकाना अब व्यर्थ है।”
पहले दिन जोशी अंकल ने कटोरी भर सलाद खाया और बोले —
“वाह, कितना हल्का महसूस हो रहा है।”
पर दोपहर दो बजे उन्होंने चुपके से रसोई में जाकर तीन परांठे खा लिए, और बाद में बोले —
“डायट का मतलब भूखा रहना नहीं होता, आत्मा को भी तो ऊर्जा चाहिए।”
जिम में जलजला
फिर उन्होंने पास के जिम का रुख किया।
जिम में दाखिल होते ही ट्रेनर बोला —
“सर, आप तो लग रहे हैं मशीन के बाप!”
जोशी अंकल बोले —
“मशीन टूटे, पर मेरा इरादा नहीं!”
उन्होंने ट्रेडमिल पर चढ़ते ही पहले बटन दबाया, फिर दूसरा, फिर ऐसा दौड़े कि तीसरे सेकंड में ही फिसल कर सीधा योगा मैट पर जा गिरे।
वहाँ से उठते ही बोले —
“मैंने जानबूझकर ऐसा किया, ये नई टकनीक है — ‘फ्लाइंग ट्रेडमिल योगा’!”
वीडियो कॉल ट्रेनर का चमत्कार
उनके दूर के भतीजे गोलू ने उन्हें सलाह दी —
“बाबा, ऑनलाइन ट्रेनर रख लीजिए। बहुत फेमस हैं, वीडियो कॉल पर सब सिखाते हैं।”
जोशी अंकल ने ₹1999 का ऑनलाइन कोर्स ले लिया, जिसमें एक स्मार्ट और दुबली सी लड़की निया उन्हें हर दिन सुबह 6 बजे फोन करके कहती —
“गुड मॉर्निंग, अंकल! लेट्स बर्न सम फैट!”
जोशी अंकल वीडियो ऑन नहीं करते थे, लेकिन वो सब फॉलो करने का नाटक करते थे।
पर असल में वो चाय पीते हुए वीडियो में छुपकर नमकीन खा रहे होते थे।
मुहल्ले में चर्चा
अब मोहल्ले भर में चर्चा थी —
“जोशी अंकल डायट कर रहे हैं, लेकिन बेकरी वाला कहता है कि बिस्कुट की बिक्री उन्हीं के कारण बढ़ी है।”
गुप्ता जी बोले —
“ये वही डायट है, जिसमें सुबह खीरा और शाम को कचौड़ी?”
बच्चे उनको देखकर गाना गाते —
“जोशी अंकल फ़िटनेस करें, पीछे से लड्डू गले में धरे!”
एक ख़ास दिन
एक दिन मोहल्ले में हेल्थ कैंप लगा।
वहाँ वजन मापा गया —
जोशी अंकल ने अपनी टोपी, जूते, घड़ी, बेल्ट, और रुमाल तक उतारकर खुद को 2 किलो हल्का किया, फिर बोले —
“अब तो देखो मैजिक!”
वजन हुआ — 96 किलो… वही का वही।
उन्होंने मशीन को दोष दिया —
“ये मशीन चीनी होगी… चीन से कुछ सही आए भी है कभी?”
अंतिम नतीजा
आखिरकार, एक दिन जोशी अंकल ने खुद आईने में देखा, गहरी सांस ली और बोले —
“अब पतला होना छोड़ो, पेट के संग शांति बनाओ। मोटापा भी एक जीवनशैली है।”
अब वो हर सुबह अपने गमले में खीरा लगाते हैं, पर खाते समोसे हैं।
कहते हैं —
“डायटिंग एक आत्मा की यात्रा है, और मेरी आत्मा को हलवा चाहिए।”
और इस तरह, जोशी अंकल का डायट प्लान न तो उन्हें पतला बना सका, न दुनिया को प्रेरणा दे सका। लेकिन मोहल्ले को इतना हँसाया कि लोग कहते हैं — ‘जोशी की डायट, सबका मनोरंजन।’ उनका मिशन खत्म नहीं हुआ, अब वो ‘फिटनेस की जगह मिठास’ का प्रचार कर रहे हैं।
समाप्त
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