दसवीं मंज़िल का कमरा
संक्षिप्त भूमिका
दिल्ली के एक हाईराइज़ अपार्टमेंट में, एक प्रसिद्ध क्रिमिनल लॉयर की पत्नी एक सुबह अपने फ़्लैट की बालकनी से गिरकर मर जाती है।
सीसीटीवी में कोई जबरदस्ती नहीं, कमरा अंदर से बंद, मोबाइल और डायरी गायब।
पुलिस इसे आत्महत्या मान लेती है, पर मृतका की बहन मानती है कि यह सिर्फ़ आत्महत्या नहीं हो सकती —
कुछ है जो छिपाया जा रहा है।
अब एक निजी वकील, एक मनोवैज्ञानिक, और एक पत्रकार —
तीनों मिलकर उस एक कमरे की चुप्पी को पढ़ने निकलते हैं,
जहाँ एक ‘आदर्श शादी’ की परत के नीचे कुछ सड़ चुका है।
पहला दृश्य – गिरती हुई एक सुबह
दिल्ली के पॉश इलाक़े वसंत विहार की एक गगनचुंबी इमारत ‘व्यू टावर रेजीडेंसी’ में रहने वाले
जाने-माने आपराधिक वकील आदित्य घोष की पत्नी निहारिका घोष,
एक सुबह अपने फ़्लैट की दसवीं मंज़िल की बालकनी से गिरकर मृत पाई जाती है।
समाचार चैनलों पर सुबह-सुबह ब्रेकिंग न्यूज़ चलती है —
“प्रसिद्ध वकील की पत्नी ने आत्महत्या की!”
पुलिस जब पहुँची, तो फ्लैट अंदर से बंद था,
कमरे में कोई संघर्ष के निशान नहीं, कोई चिट्ठी नहीं,
सिर्फ़ एक अलमारी खुली थी —
जिसमें से कुछ दस्तावेज़ और एक लाल रंग की डायरी गायब थी।
आदित्य घोष ने बयान दिया:
“वह पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव में थीं।
डॉक्टर को भी दिखा रहे थे। यह बेहद दुखद है, पर हम कुछ नहीं कर सकते थे।”
मामले को पुलिस ने जल्दी ही ‘डिप्रेशन-जनित आत्महत्या’ कहकर फाइल बंद कर दी।
पर एक शख़्स इस कहानी से संतुष्ट नहीं था —
अनया सेन, निहारिका की छोटी बहन।
दूसरा दृश्य – जो दिखता है, वह हमेशा पूरा नहीं होता
अनया, एक तेज़तर्रार पत्रकार थी।
उसे निहारिका के स्वभाव पर भरोसा था —
वह साहसी थी, संयमित थी, और किसी भी परिस्थिति से भागने वालों में नहीं थी।
अगली सुबह अनया ने पुलिस से जाकर पूछा:
“आख़िरी कॉल रिकॉर्ड क्या कहता है?”
जवाब मिला —
“रात 11:06 बजे उसकी आख़िरी कॉल आदित्य को थी।
उसके बाद कोई गतिविधि नहीं पाई गई।”
पर निहारिका की आख़िरी इंस्टाग्राम स्टोरी रात 11:28 पर पोस्ट हुई थी —
जिसमें लिखा था:
“कभी-कभी चुप रहना सबसे बड़ा विरोध होता है।”
यह पोस्ट कब और कैसे की गई, जब उसके मोबाइल की लोकेशन उसी समय से ग़ायब हो गई थी?
अनया को यक़ीन हो गया —
या तो यह आत्महत्या नहीं थी,
या फिर कोई सच्चाई इससे भी गहरी थी।
तीसरा दृश्य – दंपत्ति जो हमेशा साथ दिखते हैं, कभी-कभी सबसे अलग होते हैं
अनया को याद आया —
निहारिका पिछले दो महीनों से फोन पर बात करते हुए अक्सर कहती थी:
“सब कुछ ठीक है, पर मैं खुद से दूर होती जा रही हूँ।
कभी-कभी लगता है जैसे मैं इस घर में एक ‘वकील का केस फाइल’ बन गई हूँ —
सुलझाई जानी है, समझी नहीं जानी।”
अनया ने निजी तौर पर अपार्टमेंट के गार्ड से बात की।
गार्ड ने बताया कि घटना से एक दिन पहले
रात क़रीब १० बजे एक आदमी फ्लैट से बाहर गया था —
आदित्य नहीं था, कोई और।
“साफ़-सुथरे कपड़े, लेकिन चेहरा डर से लाल था।”
गार्ड ने उसका चेहरा कैमरे में पहचानने की कोशिश की —
पर उस रात की फुटेज ‘ग़ायब’ थी।
चौथा दृश्य – बंद अलमारी और ग़ायब डायरी
अनया ने अदालत की मदद से निहारिका के कमरे की पुनः जांच की अनुमति ली।
पुलिस का दावा था कि अलमारी खुली थी,
पर अनाया जानती थी कि निहारिका अपनी लाल डायरी में हर चीज़ दर्ज करती थी —
अपने विचार, अपनी भावनाएँ, और वह सब जो उसने कभी किसी से नहीं कहा।
आलमारी के कोने में एक दस्तावेज़ मिला,
जो आधा जला हुआ था।
उसमें लिखा था:
“कभी-कभी रिश्ते कानून के बाहर भी अपराध होते हैं।
अगर मैं कल तक ये कागज़ अदालत नहीं पहुँचा पाई,
तो शायद ये कहानी वहीं दफ़न हो जाएगी जहाँ मेरा नाम है — एक औरत के रूप में, जो सिर्फ़ पत्नी थी।”
साफ़ था —
निहारिका किसी केस या साज़िश की गवाही देने वाली थी।
पाँचवां दृश्य – वकील जो हमेशा गवाहों को मिटा देता था
अनया ने एक पुराने संपर्क, वकील राजेश चोपड़ा से मदद मांगी,
जो आदित्य घोष के साथ क़रीब दस वर्षों तक काम कर चुका था।
राजेश ने बताया कि:
“आदित्य के पास हर केस की दो फाइल होती थी —
एक अदालत के लिए, और एक खुद के लिए।
वह कई बार गवाहों को इस कदर तोड़ता कि
वे अदालत में कुछ कह ही न पाएं।
पर निहारिका को वह कभी नियंत्रण में नहीं रख पाया।
वह उसकी सबसे बड़ी चुनौती थी।”
अनया को अब समझ आया —
अगर निहारिका किसी केस की गवाही देने जा रही थी,
और आदित्य को इससे खतरा था,
तो मामला आत्महत्या नहीं हो सकता।
अंतिम दृश्य – जब सच्चाई कानूनी नहीं, व्यक्तिगत हो
निहारिका की मृत्यु के चार सप्ताह बाद,
अनया को एक बैनामे वाले फ्लैट में
एक छुपी हुई पेनड्राइव मिली —
जिसे निहारिका ने अपने बैंक लॉकर में जमा किया था।
उसमें निहारिका की वीडियो रेकॉर्डिंग थी —
जिसमें उसने बताया था:
“मैंने आदित्य के पुराने क्लाइंट्स में से तीन केसों की फाइलें फिर से पढ़ीं।
उनमें से दो गवाह आज जीवित नहीं हैं।
और तीसरे ने अदालत में झूठ बोला था, जो बाद में मेरी मदद मांगने आया।
अब मुझे यक़ीन है कि आदित्य के खिलाफ़ बोलना खतरे से खाली नहीं है।
पर अगर ये वीडियो बाहर आए,
तो शायद कोई और लड़की कानून के नाम पर किसी अपराधी के साथ ज़िंदगी न बिताए।”
अनया ने यह सबूत अदालत में प्रस्तुत किया।
सीबीआई जांच बैठाई गई।
आदित्य को निहारिका की मौत में मिलीभगत,
सबूत नष्ट करने, और दो अन्य मामलों में
अवैध दबाव के लिए गिरफ़्तार किया गया।
निहारिका की कहानी पर एक किताब प्रकाशित हुई —
“कमरा नंबर 1003: आख़िरी मंज़िल की सच्चाई”
समाप्त