सूर्यकेतु का ध्वनि-लोक
सूर्यकेतु का ध्वनि-लोक एक शहर जहाँ हर धुन में था जीवन का सार, सुरीले संगीत से ही होता था हर विचार। जब मौन ने लिया एक भयावह रूप, सूर्यकेतु ने छेड़ा था एक नया राग। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने 'ध्वनि-पुरी' का विशाल, गूँजता हुआ शहर फैला हुआ था, जो एक विशाल संगीत वाद्य जैसा दिखता था। यहाँ की हर इमारत, हर...