दर्पण का भ्रम
दर्पण का भ्रम उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में, एक मानचित्रकार हिरण्य और उसकी पत्नी कीर्ति राजस्थान के एक वीरान किले में सर्वेक्षण के लिए आते हैं। उन्हें वहाँ एक शापित दर्पण मिलता है, जो उनकी यादों को मिटाना और एक-दूसरे के बीच भ्रम पैदा करना शुरू कर देता है। वे एक ऐसे दुःस्वप्न में फँस जाते हैं जहाँ अपनी पहचान खो बैठते हैं। रेगिस्तान का बुलावा यह उन्नीसवीं सदी की...