रूप का सत्य
रूप का सत्य यह कहानी अर्जुन नामक एक घमंडी मूर्तिकार की है, जो अपनी बनाई हुई मूर्तियों की पूर्णता पर बहुत गर्व करता था। वह मानता था कि जीवन का सार केवल निश्चित, स्थिर रूपों में है और कला में कोई भी दोष अस्वीकार्य है। एक दिन, एक भूकंप उसकी सबसे उत्कृष्ट कृति को चूर-चूर कर देता है, और उसका अभिमान टूट जाता है। अपनी खोई हुई पहचान की तलाश...