सच्ची पहचान
सच्ची पहचान यह कहानी एक युवा कॉर्पोरेट कर्मचारी समीर की है, जो अपनी पहचान और सम्मान के लिए भौतिक सुख-सुविधाओं और दिखावे पर अत्यधिक निर्भर हो जाता है। यह दर्शाती है कि कैसे बाहरी दिखावा क्षणिक होता है और सच्ची पहचान तथा आत्म-मूल्य हमारे आंतरिक गुणों, ईमानदारी और मानवीय संबंधों से ही बनते हैं। समीर, एक छोटे शहर का होनहार लड़का था, जिसने बचपन से ही बड़े शहरों की चकाचौंध...