अदृश्य निशान
अदृश्य निशान सन् १९७० के दशक में लखनऊ की एक सरकारी कचहरी में काम करने वाला एक साधारण क्लर्क, सिद्धार्थ, एक रहस्यमयी भूमि घोटाले के जाल में फँस जाता है। अपने मृत साथी की फ़ाइल से मिले एक गुप्त संदेश के बाद, उसे पता चलता है कि एक शक्तिशाली मंत्री, वीरभद्र, इस साज़िश के पीछे है। एक कॉलेज की छात्रा नलिनी के साथ मिलकर, वह एक ऐसे धोखे को उजागर...