Menu

  • Home
  • ALL STORIES
    • Children Stories
    • Fantasy Stories
    • Detective Shiva Stories
    • Mystery Stories
    • Young Adult Stories
    • Action Stories
    • Adventure Stories
    • Moral Stories
    • Thriller Stories
    • Horror Stories
    • Science Fiction Stories
    • Funny Stories
    • Crime Stories
    • Drama Stories
    • Super Hero Stories
    • Space Warrior Stories
    • War Stories
    • Spiritual Stories
    • Women’s Fiction Stories
    • Inspirational Stories
    • Love Stories
  • SHOP – eBooks
  • My account
  • Cart
  • Unlimited Plans

Download

  • Coming Soon
  • eBooks
    • Learn & Grow
    • Tiny Tales eBooks
    • Universal Reads eBooks

Recently Viewed Stories

  • समय का खेल – PREMIUM STORY
  • दर्पण कोना
  • गुमनाम चेहरा – PREMIUM STORY
  • चौथा दरबार
  • गुमनाम आवाज़ – PREMIUM STORY
  • सातवीं सीढ़ी
  • अदृश्य जाल – PREMIUM STORY
  • अनदेखा आयाम
  • कोहरे का रहस्य – PREMIUM STORY
  • मौन का सौदागर
MiMiFlix
  • All Stories
    • All Stories
    • Children Stories
    • Fantasy Stories
    • Detective Shiva Stories
    • Mystery Stories
    • Young Adult Stories
    • Action Stories
    • Adventure Stories
    • Moral Stories
    • Thriller Stories
    • Horror Stories
    • Science Fiction Stories
    • Funny Stories
    • Crime Stories
    • Drama Stories
    • Super Hero Stories
    • Space Warrior Stories
    • War Stories
    • Spiritual Stories
    • Women’s Fiction Stories
    • Inspirational Stories
    • Love Stories
  • SHOP – eBooks
    • All eBooks
    • Tiny Tales eBooks
    • Learn & Grow eBooks
    • Universal Reads eBooks
  • Unlimited Plans
  • Login / Register
Cart / ₹0.00

No products in the cart.

MiMiFlix

पेड़ों वाली गर्मियाँ

A A
198.9k
VIEWS

पेड़ों वाली गर्मियाँ

संक्षिप्त विवरण:
यह कहानी है 14 वर्षीय श्रेयांश दुबे की, जो मुंबई में रहते हुए अपने गर्मी की छुट्टियाँ बिताने जाता है अपने नाना-नानी के गाँव मधुपुर। एक ऐसा गाँव जहाँ इंटरनेट धीमा है, सड़कों पर धूल उड़ती है, और शाम को बिजली चली जाती है। लेकिन वहीँ शुरू होती है एक रोमांचक यात्रा — मिट्टी में खेलने की, पुराने कुओं की, आम के बाग की, नई दोस्ती की और सबसे बढ़कर — अपने भीतर छिपी उस सहज मुस्कान को खोजने की जो शहरी जीवन की भीड़ में कहीं गुम हो गई थी।
‘पेड़ों वाली गर्मियाँ’ एक सकारात्मक, खुशनुमा, और आत्मिक अनुभव से भरी कहानी है, जो हर किशोर को यह एहसास दिलाती है कि कभी-कभी फोन से दूर, मिट्टी के पास, एक सच्ची ज़िंदगी मुस्कुरा रही होती है।


पहला भाग – मुंबई की खिड़की और गर्मी की ऊब

श्रेयांश दुबे, कक्षा 9 का छात्र, मुंबई के अंधेरी इलाके में रहता था। गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो चुकी थीं, और बाहर तापमान 40 डिग्री को छू रहा था।

वह पूरे दिन मोबाइल फोन में रील्स देखता, ऑनलाइन गेम खेलता, और सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करता रहता।

“इतनी गर्मी में कहीं जाने का मन नहीं करता माँ,” उसने कहा।

माँ ने मुस्कराते हुए कहा —
“इसीलिए तो नाना जी का फोन आया है — मधुपुर बुला रहे हैं। जाओगे?”

“गाँव? वहाँ तो नेटवर्क भी नहीं आता माँ!”

पापा ने कहा —
“बेटा, एक बार हवा तो ले लो वहाँ की। असली गर्मी वहीं समझ में आती है।”

अनमने मन से श्रेयांश तैयार हुआ। ट्रेन पकड़ी और पहुँचा मधुपुर — जहाँ न कोई मॉल था, न पिज़्ज़ा, और न ही तेज़ इंटरनेट।


दूसरा भाग – नाना की साइकिल और मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू

गाँव के पहले दिन ही सुबह पाँच बजे नाना जी ने श्रेयांश को उठाया।

“चलो, खेत दिखाते हैं।”

“अभी?” आँखें मिचमिचाते हुए वह बोला।

नाना ने कहा —
“यहाँ सूरज भी समय पर उठता है।”

वो दोहरी सीट वाली साइकिल पर सवार होकर खेतों तक पहुँचे। वहाँ टपक सिंचाई की आवाज़ थी, हवा में आम के फूलों की खुशबू थी, और मिट्टी पैरों में चिपक रही थी।

“ये देखो, तुम्हारी माँ इसी पेड़ पर चढ़ती थी,” नाना बोले।

श्रेयांश को यक़ीन नहीं हुआ — जो माँ हमेशा सफाई और फोन की बात करती हैं, वो पेड़ पर चढ़ती थीं?

शाम को नानी ने सत्तू और गुड़ का घोल पिलाया — उसके चेहरे पर पहली बार मुस्कान आई।


तीसरा भाग – तैराकी, पकौड़े और पहली दोस्ती

गाँव के तीसरे दिन नाना ने कहा —
“आज कुएँ पर चलो।”

कुएँ पर पहले से कुछ लड़के नहा रहे थे, तैर रहे थे, कूद रहे थे।

एक दुबला-पतला लड़का मुस्कराकर बोला —
“तुम शहर से आए हो ना? चलो, तैरना सीखो!”

उसका नाम था राजन — गांव के स्कूल का सबसे तेज़ धावक और बड़ा मस्तीखोर।

शुरू में श्रेयांश डरा, लेकिन फिर धीरे-धीरे पानी में उतर गया।

राजन ने उसे तैरना सिखाया, कूदने की तरकीब बताई।

शाम को सब नहाकर लौटे, और चाय के साथ प्याज़ के पकौड़े खाए।

उस दिन पहली बार श्रेयांश को फोन की याद नहीं आई।


चौथा भाग – पेड़ पर बनाया गया गुप्त अड्डा

राजन और श्रेयांश ने आम के बाग के बीच एक बड़ा सा बरगद का पेड़ चुना।

“यह हमारा अड्डा होगा,” राजन बोला।

वे पेड़ पर चढ़ते, लकड़ी बाँधकर एक छोटा-सा मंच बनाते। वहाँ एक टीन का डिब्बा रखा — जिसमें रखा गया था पेन, कागज़, पटाखे, पतंग, और आम के अचार का बोतल।

उन्होंने उस मंच का नाम रखा — “गर्मी स्पेशल क्लब”

हर दोपहर वहाँ बैठकर नई योजनाएं बनतीं — मछली पकड़ना, भूतों की कहानियाँ, पानी की रेस, और मिट्टी की किलेबंदी।

शाम को राजन बोला —
“जब तू मुंबई लौटेगा, तेरे पास ऐसा कोई अड्डा होगा क्या?”

श्रेयांश सोचने लगा — सच में, इतना मज़ा तो कभी मोबाइल में नहीं आया था।


पाँचवां भाग – गाँव का मेला और ढोल की धुन

अगले हफ़्ते गाँव में सावन मेला लगा।

चारों ओर रंगीन झंडियाँ, झूले, गुब्बारे और देसी मिठाइयाँ।

श्रेयांश, राजन और बाकी बच्चों ने मिलकर एक “खिलौना विक्रय स्टॉल” लगाया।

पुरानी चप्पलों से बनी गुड़िया, मिट्टी से बने सांड, और पत्तों की टोपी — सब उन्हीं के हाथों से बनी थीं।

लोग हँसते हुए खरीद रहे थे — “शहर वाले बच्चों का हुनर देखो!”

मंच पर नाच-गाना हुआ — राजन ने ढोल बजाया और श्रेयांश ने पहली बार फगुआ गीत गाया।

पता ही नहीं चला, कब सूरज डूबा, चाँद चढ़ा और पूरी गर्मी की थकान कहीं उड़ गई।


छठा भाग – आखिरी दिन और आँखें नम

छुट्टियाँ समाप्त होने लगीं।

श्रेयांश के बैग में अब पेंसिल बॉक्स की जगह आम के अचार, मिट्टी की गुड़िया और राजन द्वारा दी गई एक फोटो थी — जिसमें दोनों पेड़ के ऊपर बैठे मुस्करा रहे थे।

राजन बोला —
“मुझे तेरा नंबर नहीं चाहिए। हर साल गर्मी में तुझे आना होगा। यही वादा कर।”

श्रेयांश ने हाथ मिलाया और कहा —
“अबकी बार जब मैं आऊँगा, तो हम गुप्त क्लब का झूला भी लगाएंगे!”

स्टेशन तक नाना-नानी, राजन और मोहल्ले के बच्चे आए। ट्रेन चली, और श्रेयांश की आँखें नम थीं।

पर चेहरे पर वो मुस्कान थी — जो मोबाइल की स्क्रीन कभी नहीं दे सकी।


अंतिम भाग – फिर वही मुंबई, लेकिन नया श्रेयांश

अब श्रेयांश मुंबई लौट आया था।

माँ ने देखा — वो अब ज़्यादा बाहर खेलता है, फोन कम पकड़ता है, और मिट्टी से डरता नहीं।

उसने अपनी बिल्डिंग की छत पर “नीम क्लब” बनाया है — जहाँ बच्चों के लिए टेराकोटा वर्कशॉप, किताबों की अदला-बदली, और कहानियों की शामें होती हैं।

उसने लिखा —
“सपने देखने के लिए तेज़ इंटरनेट नहीं, खुला आसमान चाहिए।”

हर साल वह अब मधुपुर जाता है। वही पेड़, वही आम, वही राजन — और वही मुस्कराहट उसे फिर जिंदा कर देती है।


समाप्त

Related Stories

PREMIUM STORY">

बर्फ़ महल का रहस्य – PREMIUM STORY

111.5k

बर्फ़ महल का रहस्य संक्षिप्त परिचय: हिमालय की गोद में बसा एक निर्जन महल, जिसे स्थानीय लोग ‘बर्फ़ महल’ कहते हैं, सालों से वीरान पड़ा था। किंवदंती थी कि वहां समय रुक जाता है, और जो एक बार अंदर गया, वो लौटकर नहीं आया। जब एक सरकारी अधिकारी, जो जलवायु परिवर्तन पर शोध कर रहा था, उस महल में लापता हो गया, तो यह केस पहुँचा डिटेक्टिव शिवा और सोनिया...

जंगल की बुलबुल और जादुई झरना

191.1k

🐦 जंगल की बुलबुल और जादुई झरना 🌺💧 🌙 यह कहानी 4 से 10 वर्ष के बच्चों के लिए है, जो जानवरों की जादुई दुनिया और प्रकृति के रहस्यों से रोमांचित हो जाते हैं। बच्चों को कल्पना की दुनिया में ले जाने वाली यह कहानी उन्हें सिखाती है कि साहस, समझदारी और मित्रता से कैसे चमत्कार किए जा सकते हैं। यह कहानी जंगल की एक विशेष बुलबुल पर आधारित है,...

PREMIUM STORY">

भौरानी झील और पत्तों की सेना – PREMIUM STORY

135.6k

🐾🌪️ भौरानी झील और पत्तों की सेना उम्र समूह: 6 से 12 वर्ष के बच्चों के लिएशैली: परीकथा 🧚‍♀️, रोमांच 🐾, रहस्य 🔍, साहस 💪 🌿 प्रारंभ – जहाँ पत्ते बोलते हैं बहुत दूर, पाँच पर्वतों और दो सूखे नालों के पार, एक गहरा हरा जंगल था — हरमस वन। इस जंगल का सबसे रहस्यमयी स्थान था — भौरानी झील। यह झील दिन में तो शांत दिखती थी, लेकिन रात...

Load More

Contact & Customer Care

Contact & Customer Care

© 2024 MiMi Flix – All Rights Reserved

Policies

  • Terms and Conditions
  • Refund and Returns Policy
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Acceptable Use Policy
  • Copyright Policy
  • Community Guidelines
  • E-commerce Policy
  • Security Policy
  • Modification Policy
  • User Content Policy
  • Third-Party Links Policy
  • Data Retention Policy
  • Support Policy
  • Parental Control Policy
  • Advertising Policy
  • Dispute Resolution Policy
  • Accessibility Policy
  • Contact & Customer Care

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

Home
All Stories
Account
0
Cart
eBooks
Login/Register with email Select 'Remember Me' to stay logged in, especially on the mobile app, for easy access anytime.
Forgot Password?
Don't have an account? Signup now
Already a member? Login
Lost your password? Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.
body::-webkit-scrollbar { width: 7px; } body::-webkit-scrollbar-track { border-radius: 10px; background: #f0f0f0; } body::-webkit-scrollbar-thumb { border-radius: 50px; background: #dfdbdb }

Add MiMiFlix APP to your Device!

Install APP
  • All Stories
    • All Stories
    • Children Stories
    • Fantasy Stories
    • Detective Shiva Stories
    • Mystery Stories
    • Young Adult Stories
    • Action Stories
    • Adventure Stories
    • Moral Stories
    • Thriller Stories
    • Horror Stories
    • Science Fiction Stories
    • Funny Stories
    • Crime Stories
    • Drama Stories
    • Super Hero Stories
    • Space Warrior Stories
    • War Stories
    • Spiritual Stories
    • Women’s Fiction Stories
    • Inspirational Stories
    • Love Stories
  • SHOP – eBooks
    • All eBooks
    • Tiny Tales eBooks
    • Learn & Grow eBooks
    • Universal Reads eBooks
  • Unlimited Plans
  • Login / Register

© 2024 MiMi Flix - All Rights Reserved