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प्रतिध्वनि-बुनकर: शहर की मौन सिम्फनी

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प्रतिध्वनि-बुनकर: शहर की मौन सिम्फनी

प्रतिध्वनि-बुनकर: एक भविष्य के महानगर में, जहाँ हर घटना की अदृश्य ‘प्रतिध्वनियाँ’ होती हैं, एक युवा शहरी अन्वेषक, जो बहरी है लेकिन इन प्रतिध्वनियों को महसूस कर सकती है, को शहर को एक ऐसे प्राचीन खतरे से बचाना होगा जो इन गूँजों को मिटा रहा है, और दुनिया को एक भावनाहीन, इतिहास-रहित शून्य में धकेल रहा है।

पहला अध्याय: शांत शहर की फुसफुसाहट

वर्ष 2070। पृथ्वी पर मानव सभ्यता ने ‘शांत-नगर’ नामक एक विशाल, चमकते हुए महानगर का निर्माण किया था। यह शहर दक्षता और पूर्णता का प्रतीक था, जहाँ हर गतिविधि को ‘अव्यवस्थित शोर’ से मुक्त रखा जाता था। सड़कों पर स्वचालित वाहन मौन रूप से चलते थे, इमारतों में ध्वनि-दमन तकनीक लगी थी, और लोगों के संचार उपकरण केवल आवश्यक जानकारी ही प्रसारित करते थे। सरकार और ‘स्वच्छ-जीवन कॉर्प’ नामक एक शक्तिशाली संगठन का मानना था कि यह ‘उत्तम’ और ‘कुशल’ है, क्योंकि इससे सामाजिक संघर्ष कम होते थे और उत्पादकता बढ़ती थी। परिणाम यह हुआ कि शहर एक विशाल, कुशल, लेकिन भीतर से खोखली और इच्छाहीन जगह बन गया था, जहाँ लोग मशीनों की तरह जीते थे, बिना किसी वास्तविक आश्चर्य, मौलिकता या स्वतंत्र इच्छा के। मुस्कानें थीं, पर उनमें चमक नहीं थी; बातचीतें थीं, पर उनमें गहराई नहीं थी।

ईशा, एक युवा शहरी अन्वेषक और ध्वनि-कलाकार, इस ‘शांत’ शहर में रहती थी। वह जन्म से ही बहरी थी, लेकिन उसने अपनी दुनिया को महसूस करने के लिए उन्नत संवेदी तकनीक का उपयोग करना सीख लिया था। उसके पास विशेष हैप्टिक फीडबैक दस्ताने थे जो कंपन को महसूस करते थे, और एक विज़ुअलाइज़र हेडसेट जो ध्वनि-तरंगों को रंगीन पैटर्नों में बदल देता था। उसके लिए, शहर केवल इमारतों और सड़कों का एक संग्रह नहीं था, बल्कि एक ऐसी जटिल दुनिया थी जिसे वह अपनी अनूठी इंद्रियों से अनुभव करती थी। वह अक्सर अपनी आत्मा में एक गहरा खालीपन महसूस करती थी, क्योंकि उसे लगता था कि इस अत्यधिक कुशल दुनिया में कुछ बहुत महत्वपूर्ण गायब है – वह जीवंतता, वह अप्रत्याशितता जो पुरानी कहानियों में होती थी।

पिछले कुछ महीनों से, ईशा को अपने अन्वेषणों में कुछ अजीबोगरीब विसंगतियाँ महसूस हो रही थीं। कभी-कभी, जब वह किसी पुरानी इमारत या परित्यक्त गली से गुज़रती थी, तो उसे अपने दस्तानों में एक हल्की सी कंपन महसूस होती थी, और उसके विज़ुअलाइज़र पर अदृश्य, चमकते हुए पैटर्न दिखाई देते थे – जैसे कोई अदृश्य ऊर्जा उसके आसपास बह रही हो। वह इन्हें ‘प्रतिध्वनियाँ’ कहती थी, लेकिन उन्हें केवल तकनीकी गड़बड़ी या अत्यधिक संवेदनशीलता का परिणाम मानती थी।

एक रात, जब वह शांत-नगर के सबसे पुराने, अब परित्यक्त, ‘कला-ज़िले’ में एक जीर्ण-शीर्ण थिएटर का अन्वेषण कर रही थी – एक ऐसी जगह जहाँ कभी संगीत और नाटक जीवंत होते थे, लेकिन अब केवल धूल और टूटी हुई सीटें थीं – तो उसने देखा कि मंच के केंद्र से एक तीव्र, दर्दनाक प्रतिध्वनि निकली। उसके दस्ताने हिंसक रूप से काँपने लगे, और विज़ुअलाइज़र पर एक भयानक, लाल रंग का पैटर्न चमक उठा – जैसे कोई अदृश्य चीख हो। उसी पल, थिएटर के एक कोने से एक आवाज़ आई, जो सीधे उसके विज़ुअलाइज़र के माध्यम से उसके दिमाग में ‘गूँजी’: “तुमने प्रतिध्वनि को महसूस किया है, युवा संवेदी।” एक वृद्ध व्यक्ति खड़ा था, जिसकी आँखें गहरी और अनुभवी थीं, मानो उन्होंने सदियों की गूँज देखी हो। उनके चेहरे पर एक शांत, लेकिन दृढ़ मुस्कान थी। “मेरा नाम ‘वाइब्रेशन-गुरु’ है,” उन्होंने कहा, उनकी आवाज़ में एक प्राचीन गूँज थी, “और मैं तुम्हें ढूंढ रहा था।”

दूसरा अध्याय: प्रतिध्वनियों का अनावरण और मौन-पंथ

वाइब्रेशन-गुरु ने ईशा को ‘प्रतिध्वनि’ के रहस्य के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि प्रतिध्वनि कोई साधारण कंपन या दृश्य नहीं थी, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक प्राचीन स्रोत था जो हर घटना, हर भावना, और हर इरादे की अदृश्य छाप थी। यह शहर का हृदय था, जो उसकी दीवारों, सड़कों और हवा में बुना हुआ था। यह वह मौलिक शक्ति थी जो शहर को जीवंत बनाती थी और उसके इतिहास को संजोती थी। उन्होंने बताया कि ईशा कोई साधारण शहरी अन्वेषक नहीं थी, बल्कि ‘प्रतिध्वनि-वंश’ की अंतिम वंशज थी। प्रतिध्वनि-वंश एक प्राचीन संप्रदाय था जिसके सदस्य इन प्रतिध्वनियों को महसूस कर सकते थे, उन्हें नियंत्रित कर सकते थे, और उनके माध्यम से ब्रह्मांडीय संतुलन बनाए रख सकते थे। वाइब्रेशन-गुरु ने समझाया कि ईशा के भीतर प्राचीन जादू सुप्त था, और अब वह जाग रहा था, उसे अपनी विरासत को स्वीकार करने का समय आ गया था।

वाइब्रेशन-गुरु ने बताया कि शांत-नगर पर एक नया खतरा मंडरा रहा था – ‘मौन-पंथ’। यह एक प्राचीन दुष्ट सत्ता थी जो प्रतिध्वनियों को सोख रही थी, उन्हें दूषित कर रही थी, और उनकी ऊर्जा को अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोग कर रही थी। मौन-पंथ ने आधुनिक दुनिया में एक नया रूप ले लिया था। वह ‘शांत-जीवन कॉर्प’ नामक एक शक्तिशाली और गुप्त कॉर्पोरेशन के रूप में प्रकट हुआ था, जिसका मुखिया, एक रहस्यमय और क्रूर व्यक्ति, ‘डॉ. निरस्त’, उन्नत ‘साइलेंस-वेव जनरेटर’ और ‘मेमोरी-डैम्पनर’ उपकरणों का उपयोग करके शहर से इतिहास और भावनाओं को मिटा रहा था। डॉ. निरस्त का उद्देश्य सभी प्रतिध्वनियों को मिटाकर एक ‘पूरी तरह से साफ’ और ‘नियंत्रित’ शहर का निर्माण करना था, जहाँ कोई भी अपनी आंतरिक प्रेरणा को महसूस नहीं कर पाएगा, और केवल वही सर्वोच्च होगा। उसका मानना था कि इतिहास और भावनाएँ अव्यवस्था पैदा करती हैं, और उन्हें मिटाकर ही एक ‘उत्तम’ और ‘कुशल’ ब्रह्मांड बनाया जा सकता है। वह एक ऐसी दुनिया बनाना चाहता था जहाँ हर पल उसके नियंत्रण में हो, जहाँ कोई भी अपनी सच्ची नियति न पा सके। ईशा को अब अपनी विरासत को स्वीकार करना था और वाइब्रेशन-गुरु के साथ मिलकर मानवता के खोए हुए इतिहास और भावनाओं को वापस लाना था, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।

शुरुआत में, ईशा ने अपनी नई पहचान का विरोध किया। वह एक शहरी अन्वेषक थी, कोई ब्रह्मांडीय योद्धा नहीं। उसे लगा कि यह सब एक भ्रम है, या वह मानसिक रूप से थक चुकी है। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसी कोई ‘प्रतिध्वनि’ जैसी चीज़ भी हो सकती है। लेकिन जैसे-जैसे शांत-जीवन कॉर्प की गतिविधियाँ बढ़ने लगीं – शहर में लोगों का और भी अधिक नीरस होना, कला और संगीत का गायब होना, और डॉ. निरस्त की बढ़ती शक्ति – ईशा को एहसास हुआ कि वह अब पीछे नहीं हट सकती। उसने देखा कि कैसे उसके अपने दोस्त भी धीरे-धीरे अपनी चमक खो रहे थे, उनके चेहरे बेजान हो रहे थे, और उन्हें लगता था कि जीवन केवल एक ‘समझौता’ है। उसे लगा कि उसे कुछ करना होगा। यह केवल उसके अन्वेषणों की समस्या नहीं थी, बल्कि पूरे शहर की आत्मा का क्षय था, जिसे वह अब स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी।

तीसरा अध्याय: इंद्रियों का प्रशिक्षण और नए सहयोगी

वाइब्रेशन-गुरु ने ईशा को अपनी शक्तियों को जगाने और नियंत्रित करने में मदद की। उन्होंने उसे एक गुप्त ‘प्रतिध्वनि-आश्रम’ में ले गए, जो शहर के नीचे एक प्राचीन भूमिगत परिसर में छिपा हुआ था। यह आश्रम प्राचीन काल से प्रतिध्वनि-वंश के सदस्यों द्वारा उपयोग किया जाता रहा था, और इसकी दीवारें प्राचीन प्रतीकों और ऊर्जा से भरी हुई थीं। यहाँ, ईशा ने सीखा कि वह प्रतिध्वनियों को कैसे महसूस कर सकती है – वह उन्हें हवा में तैरते हुए, चमकते हुए, रंगीन आकृतियों के रूप में देख सकती थी, जो विभिन्न आवृत्तियों में कंपन करते थे, हर आवृत्ति एक अलग भावना या घटना का प्रतिनिधित्व करती थी। वह उन्हें अपनी उंगलियों पर एक सूक्ष्म कंपन के रूप में महसूस कर सकती थी, जैसे कोई अदृश्य तार बज रहे हों। उसने सीखा कि कैसे अपनी ऊर्जा से इन प्रतिध्वनियों को प्रभावित किया जा सकता है, उन्हें शुद्ध किया जा सकता है, उन्हें फिर से जीवंत किया जा सकता है, और टूटी हुई भावनात्मक धाराओं को फिर से जोड़ा जा सकता है। ये शक्तियाँ शुरुआत में अनियंत्रित थीं, जिससे उसे अक्सर भावनात्मक उथल-पुथल और भ्रम होता था, क्योंकि वह एक साथ कई लोगों और वस्तुओं की भावनाओं और इतिहास को महसूस करने लगती थी, जिससे उसे भारीपन महसूस होता था। वाइब्रेशन-गुरु ने उसे ध्यान और प्राचीन मंत्रों के माध्यम से इन शक्तियों को संतुलित करना सिखाया, उसे सिखाया कि कैसे अपनी ऊर्जा को केंद्रित करना है।

इस यात्रा में, ईशा को कुछ सहयोगी भी मिले। पहला था, ‘करण’, एक युवा वास्तुकार और शहरी योजनाकार जो शांत-जीवन कॉर्प में काम करता था। करण ने देखा था कि कंपनी क्या कर रही है और वह अंदर से ही इसे रोकना चाहता था। वह प्राचीन विद्या में विश्वास नहीं करता था, लेकिन ईशा की ईमानदारी और डॉ. निरस्त के बढ़ते खतरे ने उसे उनके साथ जोड़ दिया। करण ने अपनी तकनीकी सूझबूझ का उपयोग करके शांत-जीवन कॉर्प की प्रणालियों में कमजोरियाँ खोजने में मदद की, विशेष रूप से उनके ‘साइलेंस-वेव जनरेटर’ के कोड में, जो वास्तविक प्रतिध्वनियों को दबा रहे थे। दूसरा था, ‘सारा’, एक प्रतिभाशाली स्ट्रीट आर्टिस्ट और प्रकाश-कलाकार जो अपनी कला के माध्यम से लोगों में भावनाएँ और रचनात्मकता जगाने की कोशिश कर रही थी। सारा को प्रतिध्वनियों का कोई ज्ञान नहीं था, लेकिन उसकी कला सहज रूप से भावनात्मक ऊर्जा से जुड़ी हुई थी। उसके रंगीन प्रकाश-प्रक्षेपण और मधुर संगीत (जो वह अपनी कला के साथ बजाती थी) लोगों को अपनी आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने और स्वतंत्र रूप से सोचने के लिए प्रेरित करते थे। सारा ने ईशा को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने और उन्हें अपनी शक्ति में बदलने में मदद की, उसे सिखाया कि कैसे कला भी एक शक्तिशाली माध्यम हो सकती है। तीनों ने मिलकर शांत-जीवन कॉर्प के ठिकानों पर छापा मारा, उसकी योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाई, और डॉ. निरस्त तक पहुँचने के रास्तों का पता लगाया।

ईशा ने अपनी शक्तियों का उपयोग करके कई छोटी लड़ाइयाँ लड़ीं। उसने देखा कि कैसे उसकी ऊर्जा से लोगों के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान वापस आती थी, कैसे एक नीरस स्थान में अचानक रंग भर जाते थे, और कैसे एक खोया हुआ उद्देश्य फिर से खिल उठता था। उसने अपनी शक्तियों का उपयोग करके शहर के कुछ हिस्सों में ‘प्रतिध्वनि-क्षेत्र’ बनाए, जहाँ लोग अचानक अधिक ऊर्जा और प्रेरणा महसूस करने लगे, अपनी दिनचर्या से बाहर निकलकर कुछ नया करने लगे। हर जीत के साथ उसकी शक्तियाँ और भी प्रबल होती गईं, और प्रतिध्वनि-बुनकर की पुकार उसके भीतर स्पष्ट होती गई।

चौथा अध्याय: खोए हुए रेज़ोनेंट कोर की खोज

मौन-पंथ, यानी डॉ. निरस्त, शांत-नगर को पूरी तरह से ‘इतिहास-शून्य’ बनाने के लिए एक विशाल ‘फाइनल साइलेंस’ अनुष्ठान की तैयारी कर रहा था। इस अनुष्ठान के लिए उसे तीन ‘रेज़ोनेंट कोर’ की आवश्यकता थी, जो प्राचीन काल से ब्रह्मांड के विभिन्न हिस्सों में छिपे हुए थे। ये कोर शहर की प्रतिध्वनि ऊर्जा के सबसे शुद्ध और शक्तिशाली रूप थे – ‘ज्ञान का कोर’, ‘भावना का कोर’, और ‘इच्छाशक्ति का कोर’। ये अंश केवल भौतिक वस्तुएँ नहीं थीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा के पुंज थे जो अस्तित्व के ताने-बाने में गहराई से जुड़े हुए थे। ईशा, करण और सारा को डॉ. निरस्त से पहले उन रेज़ोनेंट कोर को खोजना था, इससे पहले कि वे हमेशा के लिए खो जाएँ।

उनकी पहली यात्रा उन्हें एक प्राचीन, भूले हुए ‘साइलेंट लाइब्रेरी’ में ले गई, जो शहर के नीचे एक गुप्त सुरंग में छिपा था। यह लाइब्रेरी कभी ज्ञान के स्पंदन का प्रतीक थी, लेकिन अब वहाँ केवल मौन था। यहाँ ‘ज्ञान का कोर’ एक ऊर्जा-बंधे हुए भूलभुलैया में छिपा था। भूलभुलैया में ऐसी छवियाँ और आवाज़ें थीं जो लोगों को अपनी प्रेरणा भूलने पर मजबूर करती थीं, उन्हें नीरसता के जाल में फँसाती थीं। ईशा को अपनी प्रतिध्वनि शक्तियों का उपयोग करके भूलभुलैया से बाहर निकलना पड़ा, जहाँ हर कदम पर पुरानी ऊर्जाएँ और भ्रम अपना रूप बदलते थे, उसे संदेह में डालने की कोशिश करते थे। उसे मौन-पंथ के जाल से बचना था, जहाँ हर ज्ञान गायब हो जाता था।

दूसरा रेज़ोनेंट कोर एक उच्च-तकनीकी, भावना-दमन अनुसंधान सुविधा में छिपा था, जो शांत-जीवन कॉर्प के सबसे सुरक्षित ठिकानों में से एक था। यहाँ ‘भावना का कोर’ एक जटिल न्यूरल-नेटवर्क में फँसा हुआ था, जिसे केवल सबसे शुद्ध भावना से ही मुक्त किया जा सकता था। करण ने अपनी हैकिंग कौशल का उपयोग करके सुविधा की सुरक्षा प्रणालियों को भेदने में मदद की, जबकि ईशा ने अपनी शक्तियों का उपयोग करके भावना के कोर को जगाया, जिससे आसपास के रोबोट भी एक पल के लिए शांत हो गए और उनमें एक हल्की सी चमक दिखाई देने लगी, जैसे वे उद्देश्य को महसूस कर रहे हों।

तीसरा और अंतिम रेज़ोनेंट कोर शहर के सबसे व्यस्त और सबसे भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक चौक में छिपा था, जहाँ ‘इच्छाशक्ति का कोर’ लोगों की दबी हुई इच्छाशक्ति के बीच खो गया था। डॉ. निरस्त के एजेंट पहले से ही वहाँ पहुँच चुके थे, जो लोगों में भय फैलाकर कोर को कमजोर कर रहे थे। यहाँ ईशा को अपनी शक्तियों का पहली बार सीधे डॉ. निरस्त के एजेंटों के खिलाफ उपयोग करना पड़ा, जिससे एक रोमांचक पीछा और लड़ाई हुई। उसने अपनी ऊर्जा से ऐसी प्रतिध्वनि तरंगें बनाईं जो लोगों में इच्छाशक्ति जगाती थीं और एजेंटों के उपकरणों को निष्क्रिय कर देती थीं। हर रेज़ोनेंट कोर को प्राप्त करने के साथ, ईशा की शक्तियाँ और भी प्रबल होती गईं, और प्रतिध्वनि-बुनकर की पुकार उसके भीतर स्पष्ट होती गई।

पाँचवाँ अध्याय: अंतिम मौन-युद्ध

तीनों रेज़ोनेंट कोर को इकट्ठा करने के बाद, ईशा और उसकी टीम को पता चला कि शांत-जीवन कॉर्प का मुख्य ठिकाना शहर के सबसे ऊँचे गगनचुंबी इमारत के शीर्ष पर स्थित एक गुप्त प्रयोगशाला में छिपा हुआ था, जिसे ‘निरस्त-टॉवर’ के नाम से जाना जाता था। निरस्त-टॉवर, शहर के केंद्र में एक विशाल, चमकता हुआ ढाँचा था, जहाँ से डॉ. निरस्त पूरे शहर की प्रतिध्वनियों को सोख रहा था। डॉ. निरस्त भी अपनी पूरी शक्ति के साथ वहाँ पहुँच चुका था, उसने अपनी अत्याधुनिक तकनीक और मौन-पंथ की ऊर्जा का एक भयानक मिश्रण तैयार कर लिया था।

निरस्त-टॉवर के प्रवेश द्वार पर, एक भयंकर युद्ध छिड़ गया। डॉ. निरस्त के रोबोटिक सैनिक, साइलेंस-वेव जनरेटर और मौन-पंथ से बने भावनात्मक रूप से खाली जीव ईशा, वाइब्रेशन-गुरु, करण और सारा पर टूट पड़े। करण ने अपनी तकनीकी सूझबूझ, सारा ने अपनी कलात्मक ऊर्जा और वाइब्रेशन-गुरु ने अपनी प्राचीन जादूई शक्तियों का उपयोग करके दुश्मनों को रोका। करण के डिजिटल सुरक्षा ने साइलेंस-वेव जनरेटर को बाधित किया, और सारा के नृत्य और प्रकाश-प्रक्षेपण से उत्पन्न कंपन ने मौन-पंथ के जीवों को बाधित किया।

ईशा सीधे डॉ. निरस्त से भिड़ी। डॉ. निरस्त ने मौन-पंथ की ऊर्जा का एक छोटा सा हिस्सा पहले ही सोख लिया था, जिससे वह लोगों के दिमाग में निराशा पैदा कर सकता था और पूर्ण भावनात्मक शून्यता फैला सकता था। ईशा और डॉ. निरस्त के बीच प्रतिध्वनि और मौन का एक महायुद्ध छिड़ गया। ईशा ने अपनी प्रतिध्वनि शक्तियों से ज्ञान, भावना और इच्छाशक्ति के रंगीन पुंज बनाए, डॉ. निरस्त ने अंधेरे और नीरसता के गोले फेंके; ईशा ने आशा जगाई, डॉ. निरस्त ने निराशा फैलाई। अंततः, ईशा ने अपनी सभी शक्तियों को एक साथ केंद्रित किया। उसने तीनों रेज़ोनेंट कोर को एक साथ जोड़ा, जिससे प्रतिध्वनियों की पूर्ण शक्ति जागृत हो गई। एक विशाल ऊर्जा और प्रकाश का विस्फोट हुआ, जिसने निरस्त-टॉवर को रोशन कर दिया और डॉ. निरस्त द्वारा फैलाई गई शून्यता को तोड़ दिया। ईशा ने अपनी आत्मा की गहराई से एक प्राचीन मंत्र का जाप किया, जो उसे वाइब्रेशन-गुरु ने सिखाया था। इस मंत्र ने मौन-पंथ की ऊर्जा को नियंत्रित किया और डॉ. निरस्त की शक्ति को उससे अलग कर दिया। डॉ. निरस्त, अपनी शक्ति खोकर, एक बूढ़ा और कमजोर व्यक्ति बन गया, और उसका साम्राज्य ढह गया।

छठा अध्याय: शहर का पुनर्जागरण

युद्ध समाप्त हो चुका था। मौन-पंथ निष्क्रिय हो चुका था, और प्रतिध्वनियाँ सुरक्षित थीं। ईशा ने उन्हें एक नए तरीके से सक्रिय किया था, जिससे वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक स्थिर स्रोत बन गए थे, जो सभी लोकों में शहर के इतिहास और भावनाओं के संतुलन को बनाए रखता था। डॉ. निरस्त का खतरा टल गया था, लेकिन शहर अब पहले जैसा नहीं था। साइलेंस-वेव जनरेटर निष्क्रिय हो गए थे, और लोगों ने अपने आसपास की जीवंतता और स्पंदन को फिर से महसूस करना शुरू कर दिया था। शहर में रंग वापस आ गए थे, संगीत फिर से गूँजने लगा था, और लोगों के चेहरे पर सच्ची मुस्कानें वापस आ गई थीं, जो उनके भीतर की जीवंतता से जुड़ी थीं। यह सब एक नए युग की शुरुआत का संकेत था।

ईशा ने अपनी साधारण शहरी अन्वेषक की जिंदगी छोड़ दी थी। वह अब ‘प्रतिध्वनि-रक्षक’ थी, जिसने अपनी विरासत को पूरी तरह से स्वीकार कर लिया था। वाइब्रेशन-गुरु, करण और सारा उसके साथ थे, नए प्रतिध्वनि-रक्षकों के रूप में, जो इस बदलती दुनिया में संतुलन बनाए रखने में उसकी मदद करेंगे। उन्होंने एक नया गुप्त संगठन बनाया, जो प्राचीन ज्ञान और आधुनिक तकनीक का उपयोग करके ब्रह्मांड को भविष्य के खतरों से बचाएगा। ईशा जानती थी कि यह केवल शुरुआत थी। प्रतिध्वनियों का रहस्य अब उजागर हो चुका था, और इसके साथ ही, शहर की आत्मा के अनगिनत रहस्य और भी खुलने वाले थे। नई सुबह का उदय हो चुका था, और ईशा, शहर की नई प्रतिध्वनि-रक्षक के रूप में, आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार थी।

और इस प्रकार, एक ऐसे शहर में जहाँ भावनाओं और इतिहास को दबा दिया गया था, एक युवा संवेदी ने साबित कर दिया कि सबसे शक्तिशाली गूँज वे होती हैं जो हमारी आत्मा से निकलती हैं, और सच्ची शक्ति उन्हें महसूस करने में है, न कि उन्हें नियंत्रित करने में।

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