धुँधलिका का श्राप
धुँधलिका का श्राप अट्ठारह सौ नब्बे के दशक में, एक युवा जोड़ा, शामक और वैदेही, दार्जिलिंग के दूरदराज पहाड़ों में स्थित एक वीरान चाय बागान में रहने आते हैं। उन्हें वहाँ एक रहस्यमयी, प्राचीन बरगद का पेड़ मिलता है। धीरे-धीरे, उस पेड़ से आने वाली भयावह आवाज़ें उनके मन को अपनी शक्ति से प्रभावित करना शुरू कर देती हैं, जिससे वे दोनों एक-दूसरे पर संदेह करने लगते हैं और वास्तविकता...