परछाइयों का सौदागर
परछाइयों का सौदागर एक सुनसान कस्बे में अचानक अजीब घटनाएँ होने लगती हैं। रात के सन्नाटे में लोगों की परछाइयाँ ग़ायब हो रही थीं, और जिनकी परछाइयाँ ग़ायब होतीं, वे कुछ ही दिनों में मानसिक संतुलन खो बैठते थे। पत्रकार कबीर इस रहस्य की तह तक पहुँचने के लिए कस्बे आता है, लेकिन जो सच वह खोजता है, वो उसकी कल्पनाओं से कहीं अधिक भयावह होता है। कहानी ठंडी हवाओं...