🐘✨ राजा हाथी और सात जादुई पत्तियाँ
(उम्र: 5 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए आदर्श)
🌳 सुरम्य जंगल ‘हरितवन’ की शुरुआत
बहुत समय पहले की बात है, चारों ओर हरे-भरे पेड़ों और रंग-बिरंगे फूलों से घिरा हुआ एक सुंदर, शांत और गूंजों से भरा जंगल था — जिसका नाम था हरितवन। यह जंगल केवल जीवों का घर नहीं था, बल्कि वहाँ हर पौधा, हर नदी और हर तितली में जादू बसा हुआ था।
हरितवन का राजा था राजा हाथी भीमेश 🐘 — विशालकाय, बुद्धिमान और न्यायप्रिय। उसके पास एक पुरानी किताब थी, जिसे वह अपने पूर्वजों से विरासत में लाया था। उस किताब में लिखा था —
“जब भी जंगल पर कोई विपत्ति आए, तब सात जादुई पत्तियों की खोज ही उसका समाधान होगा।”
💫 पहली आपदा और अजीब बीमारी
एक रात, जंगल में ठंडी हवा के साथ एक रहस्यमय धुंध फैल गई। 🌫️ सुबह होते-होते कई जानवरों की चमड़ी पर नीले निशान बनने लगे। 🦓 ज़ेब्रा ज़ीनो को चलने में दिक्कत होने लगी, 🐇 खरगोश किट्टू के कान झनझनाने लगे और 🦜 तोता टुनटुन अपनी आवाज़ खो बैठा।
राजा भीमेश ने तुरंत अपनी सभा बुलाई। सभी जानवर चिंतित थे। तभी, बूढ़े कछुआ शंभू 🐢 ने धीरे-धीरे आगे आकर कहा —
“महाराज, यह कोई साधारण बीमारी नहीं, यह तो उस नीली छाया का श्राप है, जो सदियों से बंद थी। अब वही फिर जाग गई है।”
📜 जादुई किताब और सात पत्तियों की खोज
राजा भीमेश को अपनी पुरानी किताब याद आई। उसने उसे निकाला, और धूल झाड़ते हुए जब पढ़ा, तो उसमें लिखा था —
“जंगल को बचाने के लिए, सात पत्तियाँ लानी होंगी — हर एक पत्ती एक गुण को दर्शाएगी — साहस, करुणा, सच्चाई, एकता, समर्पण, बुद्धिमत्ता और विश्वास।”
अब प्रश्न था — कौन करेगा इतनी कठिन यात्रा?
🐾 छह बहादुर जानवरों की टोली
राजा ने जंगल के सबसे विश्वसनीय और योग्य जानवरों को बुलाया:
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🦊 रूमी लोमड़ी – तेज़ सोच वाली चालाक रणनीतिकार
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🐒 कपिकुशल बंदर – जो सबसे ऊँचे पेड़ पर भी चढ़ सके
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🐦 चंपा मैना – जिसे हर दिशा का ज्ञान था
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🐢 घोंघू कछुआ – धीमा लेकिन अनुभव से भरपूर
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🐺 नीर भेड़िया – साहसी और निडर
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🦉 उलूक पंडित – जो पौराणिक रहस्यों का ज्ञाता था
भीमेश ने कहा —
“तुम छह मिलकर सात पत्तियों को खोजो और जंगल को फिर से स्वस्थ बनाओ।”
🌲 पहली पत्ती: साहस की – आग की गुफा में
सबसे पहले उन्हें जाना पड़ा लाल चट्टानों की घाटी, जहाँ एक जलता हुआ दर्रा था। कहा जाता था कि वहाँ “आग की आत्मा” रहती है।
नीर भेड़िया ने बिना डरे सबसे पहले प्रवेश किया। तेज़ लपटों के बीच जब वह अंतिम चट्टान पर पहुँचा, तब वहाँ लाल रंग की पत्ती चमक रही थी। 🔥
एक गरजती आवाज़ आई —
“क्या तुम जंगल के लिए अपनी जान दोगे?”
नीर बोला —
“बिना शर्त।”
पत्ती खुद उड़कर उसकी थैली में आ गिरी।
🌊 दूसरी पत्ती: करुणा की – भटकते जलप्रपात में
अगला पड़ाव था रुनझुन जलप्रपात। वहाँ पंख टूटे हुए पक्षी और बीमार मछलियाँ मदद के लिए तड़प रही थीं।
रूमी लोमड़ी और चंपा मैना ने मिलकर सबकी सेवा की — उनके लिए पत्ते के पंख लाए, उनके लिए औषधियाँ बनाई।
एक दिन बाद, एक सुनहरी मछली उनके पास आई और बोली —
“तुम्हारी करुणा ही इस जंगल की ताक़त है।”
और उसने उन्हें नीली करुणा की पत्ती सौंपी। 💧
🪨 तीसरी पत्ती: सच्चाई की – बोलती चट्टान
फिर वे पहुँचे एक वीरान घाटी, जहाँ एक अकेली बोलती चट्टान थी। वहाँ उलूक पंडित से चट्टान ने पूछा —
“तुमने कभी कोई झूठ बोला है?”
उलूक ने अपनी पुरानी गलती स्वीकार की — “मैंने एक बार अपने मित्र से उसकी सफलता छिपाई थी।”
चट्टान ने कहा —
“सच्चाई स्वीकार करना ही असली सच्चाई है।”
और चट्टान पर उग आई एक चमकीली हरी पत्ती। 🌿
🌈 अन्य पत्तियाँ और अंतिम चुनौती
बुद्धिमत्ता की पत्ती उन्हें मिली जब घोंघू ने एक बौने द्वार से निकलने का तरीका ढूँढा, समर्पण की तब जब कपिकुशल ने अपनी पूँछ फँसने पर भी बाकी सभी को सुरक्षित बाहर निकाला।
एकता की पत्ती तब प्रकट हुई जब सबने मिलकर विशाल पत्थर को हटाया और एक घायल हिरण को बचाया।
अब बची थी आखिरी और सबसे शक्तिशाली पत्ती – विश्वास की।
💎 अंतिम परीक्षा – स्वयं से लड़ाई
अंत में वे पहुँचे दर्पण घाटी, जहाँ हर किसी को उसका ही भयावह रूप दिखाई देता था। सबने अपने भय का सामना किया।
राजा हाथी भीमेश, जो बाद में पहुँचा, उसने सबको देखा और कहा —
“अगर तुमने खुद पर और एक-दूसरे पर विश्वास रखा है, तो यही सबसे बड़ी शक्ति है।”
तभी सातवीं पत्ती — एक चमकती हुई पारदर्शी पत्ती — सबके बीच प्रकट हुई। 🌟
🎇 जंगल का पुनर्जन्म
सातों पत्तियों को लेकर वे लौटे। राजा ने उन्हें नीली छाया के केन्द्र में रखा। एक तेज़ प्रकाश फैला — और सारी बीमारी, सड़ांध और डर खत्म हो गए।
हरितवन फिर से हरा-भरा हो गया।
झील में कमल खिले, तितलियाँ लौट आईं और हर जानवर फिर से मुस्कराने लगा।
🐾 कहानी का अंत नहीं…
अब जंगल के बच्चे सात पत्तियों की कहानियाँ रात को सुनते हैं।
और राजा भीमेश हर शाम कहता है —
“जब तक तुममें विश्वास, करुणा और एकता है — हर विपत्ति छोटी है।” 🌙✨