🕵️♂️ रेत की घड़ी – एक ठंडी हत्या
संक्षेप में:
मुंबई के पॉश इलाके में एक करोड़पति उद्योगपति की हत्या होती है। कमरे में न कोई खून, न कोई हथियार — सिर्फ़ एक मेज़ पर उलटी रखी हुई रेत की घड़ी।
पुलिस को यह आत्महत्या लगती है, लेकिन एक लड़की कहती है: “मेरे पापा आत्महत्या नहीं कर सकते। ये हत्या है।”
जासूस शिवा और उसकी सहायक सोनिया इस रहस्य की तह में उतरते हैं, जहाँ पैसा, धोखा, विरासत, और एक शातिर योजना का पर्दाफाश होता है।
📍 मुंबई – ‘समर वैली एस्टेट’, 18वीं मंज़िल – रात 2:10 बजे
अमित मित्तल, 62 वर्षीय उद्योगपति, अपने पेंटहाउस के स्टडी रूम में मृत पाए गए।
कमरा बंद, कोई जबरन घुसपैठ का निशान नहीं।
टेबल पर कॉफ़ी का अधूरा कप, कागज़ों का ढेर… और एक उलटी रखी रेत की घड़ी।
पुलिस ने मौके पर आकर जांच की और इसे दिल का दौरा बताकर बंद कर दिया।
लेकिन अगले दिन…
रिया मित्तल, अमित की बेटी, जासूस शिवा के ऑफिस में पहुँचती है —
“मेरे पापा कभी भी आत्महत्या नहीं करते। उन्होंने किसी को मिलने से पहले रेत की घड़ी पलटी थी – हमेशा टाइम सेट करते थे। पर अब उलटी क्यों?”
शिवा की आँखें चमकती हैं।
“मामला शुरू होता है।”
🕵️♂️ केस की जाँच
शिवा और सोनिया पेंटहाउस पहुँचते हैं।
कमरे में सब कुछ व्यवस्थित है, सिवाय उस एक रेत की घड़ी के।
शिवा सवाल करता है:
-
“रेत की घड़ी को उलट कर क्यों रखा गया?”
-
“किसे ये दिखाना था कि वक़्त उल्टा हो रहा है?”
फॉरेंसिक रिपोर्ट में कोई ज़हर या घाव नहीं मिला, लेकिन कॉफ़ी के नमूने में एक धीमा असर करने वाला मस्कुलर रिलैक्सेंट पाया गया।
अब ये हत्या बन गई थी।
🧩 संदिग्ध
शिवा तीन प्रमुख संदिग्धों की सूची बनाता है:
-
दिग्विजय मित्तल – अमित का सौतेला भाई, जो कंपनी की विरासत में हिस्सा चाहता था।
-
नताशा कश्यप – अमित की निजी सचिव, जो हाल ही में वसीयत के मामलों में शामिल थी।
-
आदित्य खुराना – एक युवा उद्यमी, जिसे अमित ने निवेश से मना कर दिया था और जो उस रात मिलने आया था।
🔍 तहकीकात
दिग्विजय मित्तल
शिवा को पता चलता है कि दिग्विजय को विरासत में कुछ नहीं मिला, जबकि उसे उम्मीद थी।
उसके पास उस रात का अलिबी था – वो दिल्ली में था, CCTV फुटेज ने पुष्टि की।
नताशा कश्यप
उसने बताया कि वसीयत को लेकर अमित काफी सतर्क थे।
“उन्होंने अंतिम वसीयत तीन दिन पहले बदली थी… लेकिन वकील ने अब तक कोई कॉपी नहीं दी।”
शिवा सतर्क हो गया –
“क्यों वसीयत छुपाई जा रही है?”
आदित्य खुराना
उसने स्वीकार किया कि वह रात को मिलने आया था।
“हमने बहस की थी, लेकिन मैं चला गया। वो ठीक थे।”
शिवा ने CCTV चेक किया — आदित्य आया… पर बाहर जाते समय वो अकेला नहीं था।
उसके बैग का वजन अंदर जाते समय कम था… बाहर निकलते समय ज़्यादा।
🧠 एक जाल बिछाया गया
शिवा ने आदित्य को फिर से बुलाया।
“तुमने उस दिन कुछ चुराया था?”
“नहीं!”
“क्या तुमने उन्हें कॉफ़ी दी थी?”
“उन्होंने खुद ली थी!”
शिवा ने रेत की घड़ी उठाई —
“जानते हो, ये तुम्हारी हार का कारण बनेगी।”
“क्या?”
“ये घड़ी उलटी इसलिए रखी गई क्योंकि मित्तल साहब जान चुके थे कि ज़हर दिया गया है।
वो तुम्हारे जाने के बाद गिर पड़े, और आखिरी प्रयास में घड़ी उलटी कर दी — ये एक संकेत था।
उन्होंने ‘वक़्त उल्टा चला’ दिखाने की कोशिश की।
क्योंकि उन्होंने घड़ी सिर्फ़ आने वालों के लिए चलानी शुरू की थी।”
🔓 सच का खुलासा
शिवा ने पुलिस को इशारा किया –
“आदित्य के बैग में उस वसीयत की कॉपी थी।
अमित मित्तल ने अपनी पूरी संपत्ति रिया के नाम की थी।
आदित्य को पता चला, और उसने कॉफ़ी में मस्कुलर रिलैक्सेंट मिलाकर उन्हें मार डाला, ताकि लग सके कि दिल का दौरा पड़ा।”
“लेकिन उस घड़ी ने तुम्हारा खेल बिगाड़ दिया।”
आदित्य चुप… फिर उसने सिर झुका दिया।
“हाँ… मैं चाहता था कि मुझे भी हिस्सा मिले। पर उन्होंने मना कर दिया…”
🏁 समाप्ति
रिया को न्याय मिला।
दिग्विजय और नताशा निर्दोष सिद्ध हुए।
शिवा और सोनिया ऑफिस लौटे।
“रेत की घड़ी…” सोनिया बोली,
“कौन सोच सकता था कि समय को उलटने का संकेत हत्या के रहस्य की कुंजी बन जाएगा?”
शिवा मुस्कराया –
“अपराध कभी समय से छुप नहीं सकता, सोनिया…
बस घड़ी को पलटना आना चाहिए।”