रंगों का चोर
रंगों का चोर सुखपुर गाँव के एक नौजवान चित्रकार, देवदत्त, के हाथ एक जादुई कूची लग गई थी। यह कूची रंग भरने का नहीं, बल्कि चुराने का काम करती थी। देवदत्त अपनी कला को निखारने के लिए गाँव की रंग-बिरंगी चीज़ों का रंग चुराने लगा। लेकिन यह शक्ति एक वरदान के बजाय एक बहुत बड़ी मुसीबत बन गई, जिसने पूरे गाँव में रंगहीनता का एक हास्यास्पद बवंडर खड़ा कर दिया।...