वज्र-बल: शहरी युद्ध की आग
संक्षिप्त परिचय
वर्ष २०८५ — भारत के सबसे आधुनिक और अत्याधुनिक शहर नवयुग नगर में सब कुछ अत्यंत सुव्यवस्थित लगता है। स्वचालित यातायात, हाईपरलूप ट्रेनें, रोबोटिक चिकित्सा, और शून्य अपराध दर… लेकिन यह सतह पर है। शहर के नीचे बसा है एक दूसरा संसार, जहाँ नियंत्रण है केवल एक गिरोह का — “रेड स्पार्क”, जो पूरे भारत में हथियारों, ड्रोन तकनीक और जैविक युद्ध सामग्रियों की आपूर्ति करता है। पुलिस और सरकार दोनों असहाय हैं क्योंकि रेड स्पार्क अब एक सशस्त्र निजी सेना बन चुका है। जब नागरिक जीवन पर सीधा आक्रमण होता है, तब बनता है एक गुप्त सरकारी दस्ते — “वज्र-बल”, जिसका उद्देश्य होता है केवल एक — शहरी युद्ध में घुसकर रेड स्पार्क को जड़ से मिटाना। यह कहानी है मशीनों, गोलियों और बलिदानों की — एक ऐसा युद्ध जो बिलकुल सामने है, जिसमें कोई रहस्य नहीं, कोई साजिश नहीं — केवल स्पष्ट दुश्मन, सीधी टक्कर, और अपराजेय वीरता।
भाग १: रेड स्पार्क का हमला
नवयुग नगर, रात ११:४५ बजे।
शहर की सबसे व्यस्त मैग्नेटिक एक्सप्रेस हाईपरलूप अचानक पटरी से उतर जाती है। तीन सौ से अधिक लोग मारे जाते हैं। इसके ठीक चार मिनट बाद सिटी एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम हैक हो जाता है, और एक एयरशिप सीधे सेंट्रल स्काईटावर से टकरा जाती है। यह केवल आतंक नहीं — यह युद्ध की उद्घोषणा थी।
दावा आता है —
“अब नवयुग हमारा है। सिस्टम का कोई भी आदमी हमारे खिलाफ खड़ा नहीं हो सकता।
– रेड स्पार्क“
रेड स्पार्क, एक गिरोह जो पहले केवल ब्लैक मार्केट ड्रोन बेचता था, अब एक पूरी सैन्य तकनीक को हथियार में बदल चुका है। उनके पास है — स्वायत्त युद्ध ड्रोन, लेज़र राइफल्स, साइबर आर्टिलरी और सैकड़ों प्रशिक्षित लड़ाके।
सरकार की विशेष सुरक्षा एजेंसियाँ निष्क्रिय हैं क्योंकि शहर का पूरा रक्षा नेटवर्क भी उसी नेटवर्क से जुड़ा है जिसे अब रेड स्पार्क ने हैक कर लिया है।
भाग २: वज्र-बल की स्थापना
प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आपात बैठक होती है।
वहाँ उपस्थित होते हैं देश के प्रमुख रक्षा वैज्ञानिक, सैन्य अधिकारी और आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञ।
एक ही नाम सुझाया जाता है —
कर्नल अर्जुन रोहिल्ला — एक पूर्व विशेष बल अधिकारी, जिसने अर्बन युद्ध के तीन सबसे कठिन अभियानों में जीत पाई थी, लेकिन अब सेवा से अलग होकर हिमालय की तलहटी में साधना कर रहा है।
सरकार का दूत जब उन्हें बुलाता है, वह केवल इतना कहता है:
“अब समय ध्यान का नहीं, धधकती लड़ाई का है। अगर तुम्हारे पास आज़ादी है, तो मैं लड़ूँगा।”
सरकार सहमत होती है।
अर्जुन को मिलती है पूरी आज़ादी और एक विशेष टीम बनाने की छूट।
टीम का नाम रखा जाता है — “वज्र-बल”।
भाग ३: टीम के योद्धा
कर्नल अर्जुन चुनते हैं सिर्फ वही लोग जो युद्ध के मैदान में जन्मे हैं, प्रशिक्षणशाला में नहीं।
कप्तान ज़ोया खान — शहरी मुकाबले की चैंपियन, मेट्रो सघन क्षेत्रों में एक भी गोली बेकार नहीं जाने देती।
आरव वाघेला — पूर्व कमांडो और बम निष्क्रियता विशेषज्ञ, जिसे ‘हथियारों से बातें करने’ की आदत है।
रणदीप मोरा — आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और युद्ध ड्रोन का मास्टर प्रोग्रामर।
तनिष्का भोंसले — ट्रांसपोर्ट, तेज़ मोटरबाइक्स और शहरी क्षेत्र में भगदड़ की विशेषज्ञ।
इन सभी का एक ही लक्ष्य होता है — सीधी टक्कर, रेड स्पार्क का संपूर्ण विनाश।
भाग ४: पहला हमला — “साइबर-ह्रदय” पर धावा
रेड स्पार्क का नियंत्रण केंद्र था — साइबर-ह्रदय, नवयुग नगर की भूमिगत सुरंगों में स्थित एक अत्यंत संरक्षित साइबर फोर्ट।
रणदीप ने नक्शा तैयार किया।
“यहाँ से पूरी ड्रोन सेना संचालित हो रही है। जब तक इसे नष्ट नहीं किया जाएगा, युद्ध सिर्फ एक खेल बना रहेगा।”
वज्र-बल ने योजना बनाई —
साइबर-ह्रदय के अंदर जाकर मुख्य कोर सिस्टम को एक विशेष चुम्बकीय ब्लास्ट से उड़ाया जाएगा।
ज़ोया और आरव ने सुरंगों में घुसपैठ की।
अर्जुन और तनिष्का ने सतह पर मोर्चा संभाला।
अंदर जाते ही हज़ारों ऑटोमेटेड गन यूनिट्स सक्रिय हो गईं, लेकिन ज़ोया की गतिशीलता और आरव की विस्फोटक रणनीति ने सब ध्वस्त कर डाला।
आख़िर में, रणदीप ने ब्लास्ट को समयबद्ध किया —
“तीन मिनट में सब कुछ उड़ जाएगा। निकलो!”
ब्लास्ट हुआ — और रेड स्पार्क की आंखें फूट गईं। ड्रोन नियंत्रण खत्म।
भाग ५: खुला युद्ध — “ब्लड स्क्वायर” की घेराबंदी
रेड स्पार्क का सीधा जवाब आता है —
“अगर तुमने हमारी आंखें फोड़ी हैं, अब हम दिल फोड़ेंगे।”
ब्लड स्क्वायर — शहर का सबसे महत्वपूर्ण नागरिक इलाका, जहाँ हज़ारों नागरिक रहते हैं, पूरी तरह बंधक बना लिया गया। छतों पर स्नाइपर्स, दीवारों पर माइंस और सड़कों पर आर्टिलरी।
वज्र-बल की टीम बिना किसी छल के वहाँ पहुँची।
अर्जुन ने कहा —
“अब वक्त है सीधा लहू बहाने का। कोई मास्क नहीं, कोई तकनीक नहीं — केवल योद्धा और युद्ध।”
ज़ोया और आरव सीधे सामने से टकराए।
तनिष्का ने नागरिकों को सुरक्षित निकाला, जबकि रणदीप ने रेड स्पार्क के रेडियो चैनल को जाम किया।
तीन घंटे का सीधा युद्ध —
१५८ रेड स्पार्क सैनिक मारे गए, बाकी भाग निकले।
ब्लड स्क्वायर आज़ाद।
भाग ६: अंतिम युद्ध — “आयरन हेड” की जंग
रेड स्पार्क का अंतिम कमांडर — रायन ग्रेव, एक विदेशी सैन्य भाड़े का लड़ाका, जिसने पूरे भारत में कई गुप्त संचालन किए थे। अब वह रेड स्पार्क का जनरल बन चुका था।
वह छिपा था नवयुग नगर की सबसे ऊँची इमारत — आयरन हेड में, जो अब एक किले में बदल चुकी थी।
अर्जुन ने कहा —
“अब हम अंतिम वार करेंगे, लेकिन यह कोई बचाव मिशन नहीं होगा — यह संहार होगा।”
पाँचों योद्धा सीधे इमारत में घुसे।
हर फ्लोर पर हथियारबंद सुरक्षा, बायो-मैकेनिकल मशीनें, फ्लेमथ्रोअर्स और माइंड इंटरफेस से लैस गार्ड्स।
रणदीप ने एक पल को सिस्टम को ब्लाइंड किया।
ज़ोया और आरव ऊपर पहुँचे, और सीधे ग्रेव से टकराए।
ग्रेव एक सायबर एन्हैंस्ड सैनिक था। उसका शरीर मशीन बन चुका था।
तीन मिनट की लड़ाई — ज़ोया घायल, आरव मूर्छित।
फिर अर्जुन ने कमांड संभाली।
ग्रेव बोला —
“तुम्हारी बंदूकें मेरा कुछ नहीं बिगाड़ेंगी।”
अर्जुन बोला —
“हम बंदूकें नहीं, आत्मबल लेकर आए हैं।”
अर्जुन ने उसकी बिजली से चलती धमनियों में विशेष EMP विस्फोट डाला।
ग्रेव — ध्वस्त।
रेड स्पार्क — समाप्त।
भाग ७: युद्ध के बाद की भूमि
नवयुग नगर — अब फिर से शांत।
सरकार ने ‘वज्र-बल’ को खुले मंच पर सम्मानित करना चाहा, पर अर्जुन ने इनकार किया।
“हम योद्धा हैं, प्रशंसा नहीं, चौकसी चाहिए। जब अगली बार ऐसा होगा, वज्र फिर गिरेगा।”
ज़ोया सेना में वापस गई, आरव रक्षा प्रशिक्षण स्कूल में प्रशिक्षक बना, रणदीप अब तकनीक में निगरानी प्रमुख है, और तनिष्का एक गोपनीय परिवहन एजेंसी की संचालिका बनी।
अंतिम समापन
“वज्र-बल: शहरी युद्ध की आग” एक ऐसी कथा है जो यह दिखाती है कि आधुनिक युग में युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं होते — वे शहरों में, कंप्यूटरों में, और नागरिकों के जीवन में भी होते हैं। और उन युद्धों को जीतने के लिए चाहिए साफ़ दिशा, दुश्मन की पहचान और एक ऐसा बल जो केवल आदेश नहीं, उद्देश्य जानता हो। जब सब कुछ स्वचालित हो जाए, तब भी इंसान की हिम्मत सबसे बड़ा हथियार होती है।
समाप्त।