टूटी हुई कड़ी
टूटी हुई कड़ी एक स्त्री की आत्म-खोज की लंबी यात्रा, जहां रिश्तों की जकड़न, समाज की बेड़ियाँ और दिल के भीतर की सच्चाइयाँ उसे बार-बार तोड़ती हैं, लेकिन अंततः वह अपनी पहचान खुद रचती है। कोमल चौधरी की उम्र पैंतीस साल थी। बाहर से वह एक सधी-सधी गृहिणी लगती थी — शांत, विनम्र, और अनुशासित। लेकिन भीतर कहीं वह लगातार खुद से लड़ रही थी। उसकी आँखों में अक्सर एक...