निर्मल दर्पण
निर्मल दर्पण यह कहानी एक युवा मूर्तिकार देवव्रत की है, जो अपनी कला की सीमाओं से निराश होकर एक ऐसी पूर्ण मूर्ति बनाने का जुनून पाल लेता है जो हर दोष से परे हो। वह अपनी ही कला में कमियां ढूंढता रहता है और दुनिया को भी उसी नजर से देखता है। अपनी इस तलाश में, वह एक मौन गुरु से मिलता है जो उसे यह सिखाते हैं कि सच्चा...