शांतिपुर का संकट
शांतिपुर की सुबह, अपनी शांति और समृद्धि के बावजूद, एक अजीब सी खामोशी में डूबी थी। सूर्यकेतु अपनी गुप्त प्रयोगशाला में था, जहाँ वह अपने नए डेटा-एनालाइजर पर काम कर रहा था। उसकी प्रयोगशाला शहर के केंद्र में एक सुनसान, भूमिगत इमारत में थी। वह अपने काम में इतना खोया हुआ था कि उसने बाहर की दुनिया से अपना संपर्क तोड़ दिया था। तभी, उसकी कलाई पर लगी घड़ी पर एक अजीब सा अलर्ट आया। यह अलर्ट किसी सामान्य खतरे का नहीं था, बल्कि एक बहुत ही सूक्ष्म, एन्क्रिप्टेड सिग्नल का था, जो शहर की मुख्य मेट्रो प्रणाली ‘गति’ से आ रहा था।
यह सिग्नल किसी बाहरी घुसपैठ का संकेत था, और यह इतना सूक्ष्म था कि किसी भी सामान्य उपकरण द्वारा इसका पता लगाना असंभव था। सूर्यकेतु ने तुरंत अपनी घड़ी के डेटा एनालाइजर को सक्रिय किया। विश्लेषण से पता चला कि यह एक क्वांटम-आधारित हैकिंग एल्गोरिदम था, जो बहुत ही धीमी गति से ‘गति’ के सिस्टम को हैक कर रहा था। इसका उद्देश्य प्रणाली को तुरंत बंद करना नहीं था, बल्कि उसे धीरे-धीरे कमजोर करना था, ताकि जब हमला हो तो कोई भी इसे रोक न सके। सूर्यकेतु समझ गया कि यह कोई सामान्य चोर नहीं था, बल्कि एक तकनीकी विशेषज्ञ था, जो इस प्रणाली को अंदर और बाहर से जानता था।
सूर्यकेतु ने अपनी घड़ी से शहर के मुख्य पुलिस स्टेशन को संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। उसे पता चला कि शहर का संचार नेटवर्क पूरी तरह से निष्क्रिय हो गया था। यह कोई छोटी-मोटी तकनीकी खराबी नहीं थी, बल्कि एक बहुत ही सुनियोजित हमला था। सूर्यकेतु ने तुरंत अपनी पोशाक को सक्रिय किया। उसकी पोशाक, जो एक हल्के, मजबूत फाइबर से बनी थी, पूरी तरह से अदृश्य हो गई। वह तुरंत बाहर निकला और शहर के मुख्य मेट्रो स्टेशन की ओर भागा।
जब वह वहाँ पहुँचा, तो उसने देखा कि पुलिस और सुरक्षा बल पहले ही वहाँ पहुँच चुके थे, लेकिन वे बेबस थे। सभी सुरक्षा कैमरे और संचार उपकरण निष्क्रिय हो गए थे। इंस्पेक्टर आकाश, एक बहादुर और समर्पित अधिकारी, अपनी टीम को निर्देश दे रहे थे, लेकिन वे कुछ नहीं कर पा रहे थे। सूर्यकेतु ने एक पेड़ की आड़ में रुककर स्थिति को समझा। उसे पता था कि सीधे हमला करना संभव नहीं था। उसे इस तकनीकी जाल को तोड़ने का एक तरीका खोजना होगा।
गति का नियंत्रण
सूर्यकेतु ने अपनी घड़ी पर लगे सेंसर को सक्रिय किया और मेट्रो स्टेशन के चारों ओर एक सूक्ष्म, अदृश्य विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाया, जो किसी भी बाहरी संचार को रोक रहा था। इस क्षेत्र को तोड़ना लगभग असंभव था, क्योंकि यह हर पल अपनी आवृत्ति बदल रहा था। सूर्यकेतु ने सोचा कि सीधे घुसने की बजाय, उसे इस जाल को दूर से निष्क्रिय करना होगा। उसने अपनी कलाई पर लगी घड़ी से एक छोटा, मकड़ी के आकार का ड्रोन लॉन्च किया, जिसे उसने ‘प्रहरी’ कहा। प्रहरी ड्रोन ने मेट्रो स्टेशन के पास की एक खिड़की से अंदर प्रवेश किया और अंदर की स्थिति का पता लगाने लगा।
प्रहरी ने जो दिखाया, वह चौंकाने वाला था। अंदर के लोग बहुत ही व्यवस्थित थे, और वे एक विशिष्ट पैटर्न में काम कर रहे थे। वे सिर्फ ‘गति’ को बंद नहीं कर रहे थे, बल्कि वे उसे नियंत्रित कर रहे थे। उनका नेता एक शांत, क्रूर आदमी था, जो अपने हाथों में एक छोटा, चमकदार उपकरण पकड़े हुए था। उसका नाम ‘महाकाल’ था, और वह खुद को ‘अंधकार’ नामक संगठन का नेता कहता था। महाकाल ने अपने हाथ में रखे उपकरण का उपयोग करके ‘गति’ के मुख्य सर्वर को हैक करना शुरू किया। उसका उद्देश्य सिर्फ पैसों को लूटना नहीं था, बल्कि मेट्रो प्रणाली को एक उन्नत सैन्य हथियार में बदलना था।
महाकाल ने एक माइक्रोफोन लिया और कहा, “शांतिपुर के लोगों, तुम्हारा समय समाप्त हो गया है। अब तुम्हारा भविष्य मेरे हाथों में है।” उसकी आवाज़ बहुत गहरी और ठंडी थी, जो सभी लोगों के दिल में डर भर रही थी। सूर्यकेतु, जो बाहर से यह सब देख रहा था, समझ गया कि यह कोई सामान्य अपराधी नहीं था। यह एक तकनीकी genius था, जिसे इस केंद्र के बारे में सब कुछ पता था।
सूर्यकेतु ने फैसला किया कि उसे अंदर जाना होगा। उसने अपने ग्रैपलिंग हुक का उपयोग करके एक ऊँचे भवन पर चढ़ा और फिर एक खिड़की से मेट्रो केंद्र में प्रवेश किया। वह एक अंधेरे गलियारे में था, जहाँ की हवा बहुत ठंडी थी। उसने अपने विशेष चश्मे पहने, जो उसे अंधेरे में भी देखने की क्षमता देते थे। उसने गलियारे के अंत में एक दरवाजा देखा, जो बंद था।
भूमिगत युद्ध
सूर्यकेतु ने दरवाजे के पास जाकर अपने डेटा एनालाइजर का उपयोग करके दरवाजा खोलने की कोशिश की। लेकिन दरवाजा बहुत मजबूत था, और उसके पास कोई कोड नहीं था। सूर्यकेतु ने एक और तरीका सोचा। उसने अपनी कलाई पर लगी घड़ी से एक छोटा, पतला तार निकाला और उसे दरवाजे के नीचे से अंदर डाला। तार ने दरवाजे के अंदर के सर्किट से संपर्क किया, और सूर्यकेतु ने सर्किट को हैक किया। कुछ ही मिनटों में, दरवाजा खुल गया।
वह एक सर्वर रूम में था, जहाँ कई कंप्यूटर और सर्वर लगे थे। उसने देखा कि एक अपराधी एक कंप्यूटर पर काम कर रहा था। सूर्यकेतु ने चुपके से उसके पास गया और उसे बेहोश कर दिया। उसने अपराधी के कंप्यूटर को देखा और पाया कि वह एक विशेष एल्गोरिदम का उपयोग करके ‘गति’ के डेटा को बदल रहा था। सूर्यकेतु ने तुरंत एल्गोरिदम को निष्क्रिय किया और डेटा को बचाने की कोशिश की।
लेकिन जैसे ही उसने डेटा को बचाने की कोशिश की, एक अलार्म बज उठा। महाकाल को पता चल गया था कि कोई अंदर घुस गया है। उसने अपनी टीम को सूर्यकेतु को खोजने का आदेश दिया। सूर्यकेतु ने अलार्म को बंद करने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत मजबूत था। उसने अपनी कलाई पर लगी घड़ी से एक छोटा, शक्तिशाली विद्युत-चुंबकीय पल्स जनरेटर निकाला और उसे सर्वर पर फेंक दिया। पल्स ने सर्वर को नष्ट कर दिया, और अलार्म बंद हो गया।
सूर्यकेतु ने आगे बढ़ना शुरू किया। उसे पता था कि महाकाल बहुत चालाक था, और वह वहाँ कई जाल लगाएगा। उसने एक गलियारे में एक लेज़र जाल देखा, जो किसी भी घुसपैठिए को तुरंत खत्म कर सकता था। सूर्यकेतु ने अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उसने अपनी पोशाक के सेंसर को सक्रिय किया और लेज़र के बीम का पता लगाया। उसने देखा कि लेज़र बीम बहुत पतले थे, और उन्हें बिना किसी नुकसान के पार करना असंभव था।
सूर्यकेतु ने एक छोटा सा आईना निकाला, जिसे उसने अपने पास रखा था। उसने आईने का उपयोग करके लेज़र बीम को मोड़ा, और उन्हें एक-दूसरे से टकरा दिया। लेज़र बीम ने एक-दूसरे को काट दिया, और जाल निष्क्रिय हो गया। सूर्यकेतु ने आगे बढ़ना शुरू किया, लेकिन वह जानता था कि अभी और भी कई जाल होंगे।
प्रतिशोध की आग
वह मुख्य सर्वर रूम में पहुँचा, जहाँ महाकाल और उसके बाकी साथी थे। महाकाल ने देखा कि सूर्यकेतु वहाँ था, और उसने मुस्कुराया। “मैं जानता था कि तुम आओगे, सूर्यकेतु। तुम हमेशा मेरी तरह के लोगों के पीछे लगे रहते हो।” सूर्यकेतु ने कहा, “तुम जो कर रहे हो, वह सही नहीं है, महाकाल। तुम निर्दोष लोगों को खतरे में डाल रहे हो।” महाकाल ने कहा, “तुम क्या जानो, सूर्यकेतु? यह सब मेरे प्रतिशोध का हिस्सा है।”
महाकाल ने अपनी कहानी बताई। “मेरा नाम राहुल था। मैं भी एक इंजीनियर था, और मैं इसी केंद्र में काम करता था। मैंने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया था जो शहर की बिजली को बहुत ही किफायती बना सकता था, लेकिन सरकार ने मेरे आविष्कार को चुरा लिया और मुझे नौकरी से निकाल दिया। उन्होंने मुझे एक अपराधी घोषित कर दिया, और मुझे सब कुछ खोना पड़ा।”
महाकाल ने एक और हमला किया। उसने अपने हाथ में रखे उपकरण का उपयोग करके केंद्र के तापमान को बढ़ाया। तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा था, और सूर्यकेतु को गर्मी महसूस होने लगी। सूर्यकेतु ने अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उसने अपनी पोशाक के सेंसर को सक्रिय किया और तापमान को नियंत्रित किया। उसने एक छोटा, शक्तिशाली पंखा निकाला, जो बहुत तेजी से हवा चला सकता था। उसने पंखे को सक्रिय किया और तापमान को कम किया।
महाकाल ने एक और हमला किया। उसने केंद्र के अंदर के सभी कंप्यूटर और सर्वर को एक-दूसरे से जोड़ा, और एक बहुत बड़ा, शक्तिशाली वायरस बनाया। वायरस बहुत तेजी से फैल रहा था, और यह देश के सभी डेटा को नष्ट कर सकता था। सूर्यकेतु ने अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उसने अपने डेटा एनालाइजर का उपयोग करके वायरस का पता लगाया। उसने वायरस के कोड को विश्लेषण किया और पाया कि यह एक बहुत ही जटिल कोड था।
सूर्यकेतु ने अपनी कलाई पर लगी घड़ी से एक छोटा, शक्तिशाली कंप्यूटर निकाला। उसने कंप्यूटर का उपयोग करके वायरस के कोड को हैक किया और उसे नष्ट कर दिया। वायरस नष्ट हो गया, और महाकाल हैरान था। उसने सोचा नहीं था कि कोई उसके वायरस को नष्ट कर सकता था।
अंतिम चेतावनी
महाकाल ने अपनी अंतिम चाल चली। उसने एक छोटा सा बटन दबाया, और केंद्र की मुख्य छत पर एक शक्तिशाली लेज़र बंदूक निकली। लेज़र बंदूक ने सूर्यकेतु पर निशाना साधा। सूर्यकेतु ने अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उसने अपनी ग्रैपलिंग हुक का उपयोग करके छत पर चढ़ा और लेज़र बंदूक को नष्ट कर दिया। उसने बंदूक को एक छोटे, शक्तिशाली विद्युत-चुंबकीय पल्स से नष्ट किया, जो किसी भी चीज को निष्क्रिय कर सकता था।
सूर्यकेतु और महाकाल के बीच एक लड़ाई शुरू हो गई। महाकाल ने अपने हाथों से एक और हथियार निकाला, जो एक ध्वनि-विस्फोटक था। यह हथियार एक तेज, कर्कश ध्वनि बना सकता था, जो किसी भी व्यक्ति को बेहोश कर सकता था। सूर्यकेतु ने अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उसने अपने ध्वनि-अवशोषक यंत्र को सक्रिय किया और महाकाल पर एक तेज, उच्च-आवृत्ति वाली ध्वनि-तरंग निकाली।
महाकाल ने सूर्यकेतु पर हमला किया, लेकिन सूर्यकेतु ने उसे बेअसर कर दिया। उसने महाकाल के हाथ से हथियार छीन लिया और उसे बेहोश कर दिया। उसने सभी बंधकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। पुलिस और सुरक्षा बल अंदर आए और उन्होंने महाकाल और उसके बाकी साथियों को गिरफ्तार कर लिया।
सूर्यकेतु ने पुलिस प्रमुख को सब कुछ बताया। उसने उसे महाकाल की कहानी बताई, और हथियार का असली उद्देश्य बताया। पुलिस प्रमुख ने सूर्यकेतु को धन्यवाद दिया और कहा, “तुमने एक बार फिर से शहर को बचाया है, सूर्यकेतु। तुमने एक बहुत बड़ा रहस्य उजागर किया है।” सूर्यकेतु ने कहा, “यह मेरा कर्तव्य है।”
सूर्यकेतु ने वापस अपनी नागरिक पोशाक पहनी और शहर में चला गया। वह जानता था कि यह सिर्फ एक और लड़ाई थी, और आने वाली लड़ाईयाँ और भी कठिन होंगी। लेकिन वह तैयार था। वह जानता था कि उसके पास कोई अलौकिक शक्ति नहीं थी, लेकिन उसके पास एक बहुत बड़ा हथियार था: उसकी बुद्धि और उसकी नैतिकता। वह जानता था कि वह हमेशा सच के लिए लड़ेगा, और वह कभी हार नहीं मानेगा।
समाप्त।
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