गुलाम-साया
गुलाम-साया यह सोलहवीं सदी का एक दौर था। एक इतिहासकार, कौस्तुभ, अपनी पत्नी कल्याणी के साथ एक प्राचीन और वीरान नगरी के खंडहरों की पड़ताल करता है। वहाँ उसे एक रहस्यमयी मिट्टी का पात्र मिलता है। जैसे-जैसे वे इस पात्र के संपर्क में आते हैं, एक अदृश्य और भयानक छाया उनके मन और शरीर को अपना गुलाम बनाना शुरू कर देती है, जिससे उनकी वास्तविकता और पहचान छिन जाती है।...