कला का मर्म
कला का मर्म अर्जुन नामक एक कुशल शिल्पकार अपनी कला में पूर्णता की तलाश करता था। उसका अभिमान तब टूटता है जब उसकी सबसे प्रिय कृति एक भयानक तूफान में नष्ट हो जाती है। अपनी पहचान और नियंत्रण की तलाश में, वह एक आध्यात्मिक यात्रा पर निकलता है। इस यात्रा में उसे एक वृद्ध गुरु दयानंद मिलते हैं जो उसे सिखाते हैं कि सच्ची कला बाहरी सुंदरता में नहीं, बल्कि...