सितारों वाली हवेली
संक्षिप्त परिचय:
राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में स्थित एक प्राचीन हवेली — जिसे स्थानीय लोग ‘सितारों वाली हवेली’ कहते हैं — सालों से वीरान पड़ी थी। कहा जाता था कि इस हवेली की दीवारें रात में चमकती हैं और वहां जाने वाला कोई लौट कर नहीं आता। जब एक युवा खगोलशास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु वहां होती है, तो इस केस की तहकीकात के लिए डिटेक्टिव शिवा और उनकी सहयोगी सोनिया को बुलाया जाता है। यह कहानी इतिहास, खगोलशास्त्र, और पारिवारिक षड्यंत्रों की एक रोमांचक गाथा है।
पहला अध्याय — अनजाना प्रकाश
जोधपुर से लगभग सौ किलोमीटर दूर ‘मुक्तसर’ नामक स्थान पर स्थित थी — वह हवेली जो चूने, पत्थर और रहस्यों से बनी थी। यहीं पर खगोलशास्त्री विवेक नागर, जिन्होंने तारा-स्थिति पर शोध शुरू किया था, अपनी टीम के साथ एक शोध यात्रा पर आए थे।
एक रात, 11:45 बजे, तेज़ रोशनी हवेली के भीतर से निकली और कुछ ही मिनटों में सब शांत हो गया। अगली सुबह विवेक की जली हुई लाश हवेली के एक खंडहर कमरे में पाई गई। कमरे की दीवारों पर तारे और ग्रहों के चित्र खुदे हुए थे, जिनमें एक चिह्न विशेष रूप से चमक रहा था — ‘ध्रुव पथ’।
स्थानीय पुलिस ने दुर्घटना बताकर मामला बंद कर दिया। लेकिन विवेक की पत्नी रंजना ने इस निष्कर्ष को मानने से इनकार कर दिया।
दूसरा अध्याय — हवेली के नक्शे
डिटेक्टिव शिवा और सोनिया ने हवेली का अध्ययन शुरू किया। सोनिया ने दीवारों पर बने खगोलीय संकेतों का विश्लेषण किया और पाया कि वे किसी प्राचीन खगोलशास्त्रीय यंत्र की संरचना जैसे थे। एक दीवार पर एक तारा-नक्शा भी उकेरा हुआ था, जो रात के आकाश से मेल खाता था।
शिवा को हवेली के तहखाने में एक पुरानी किताब मिली — “नक्षत्र विधान” — जिसमें लिखा था: “जो ध्रुव की रेखा समझे, वही स्वर्ग द्वार देखे।”
शिवा को शक हुआ कि यह हत्या सिर्फ विज्ञान की खोज से नहीं जुड़ी, बल्कि कोई पारिवारिक या वित्तीय मकसद भी हो सकता है।
तीसरा अध्याय — वारिस की चाल
विवेक नागर का छोटा भाई, समीर नागर, जोधपुर में एक होटल चलाता था। पूछताछ करने पर उसने बताया कि विवेक अपनी रिसर्च के चलते कई बार हवेली में अकेले चला जाता था और कई बार कहता था — “मैं सितारों की भाषा पढ़ना सीख रहा हूं।”
समीर का व्यवहार अस्वाभाविक था। शिवा को लगा कि वह कुछ छिपा रहा है। सोनिया ने उसके बैंक ट्रांजैक्शन की जांच की और पाया कि हाल ही में एक गुप्त निधि उसके खाते में जमा हुई थी। स्रोत का कोई नाम नहीं था, लेकिन हवेली के क्षेत्रीय रजिस्ट्रार के दस्तख़त मौजूद थे।
चौथा अध्याय — ध्रुव पथ की गूंज
शिवा और सोनिया ने हवेली की रात की निगरानी शुरू की। 11:40 पर, फिर वही रोशनी कमरे से निकलने लगी। सोनिया ने खास उपकरण से देखा कि दीवार पर बने ‘ध्रुव पथ’ चिह्न से एक किरण निकलकर छत के शीशे से टकरा रही थी और कमरे के केंद्र में आकर रुक रही थी।
शिवा ने विवेक की डायरी से यह निष्कर्ष निकाला कि यह एक प्राचीन खगोल यंत्र था, जो हर वर्ष केवल एक दिन — विशेष तारा स्थिति पर — सक्रिय होता था। विवेक ने शायद इसका रहस्य जान लिया था और यह किसी को मंज़ूर नहीं था।
पाँचवाँ अध्याय — षड्यंत्र का पर्दाफाश
शिवा और सोनिया ने हवेली के रजिस्ट्रार को पूछताछ के लिए बुलाया। वह जल्द ही टूट गया और बताया कि समीर ने हवेली को अपने नाम करवाने के लिए एक पुराना दस्तावेज़ फर्जी तरीके से तैयार कराया था। विवेक को यह बात पता चल गई थी और उसने समीर को रोका था।
समीर ने सोचा कि विवेक की मौत को अजीब और रहस्यमय बनाकर वह शक से बच जाएगा। उसने विवेक के कमरे में खगोलीय गैस और रसायनों का छिड़काव किया था, जिससे मौत आग लगने जैसी प्रतीत हुई।
अंतिम अध्याय — सितारों से न्याय
समीर को गिरफ्तार कर लिया गया। हवेली को राज्य सरकार ने विरासत घोषित कर संरक्षित किया। विवेक के कार्यों को सम्मानित किया गया और वहां एक खगोल वेधशाला बनाई गई जिसका नाम रखा गया — “ध्रुव विवेक केंद्र।”
रंजना ने कहा — “मेरे पति का सपना सितारों में नहीं, सच्चाई में था।”
शिवा ने उत्तर दिया — “रात चाहे जितनी भी रहस्यमयी हो, न्याय का सूर्य अवश्य उगता है।”
समाप्त