करुणा का धागा
करुणा का धागा एक कुशल, पर अहंकारी, बुनकर मयंक एक जादुई 'स्वर्ण-तंतु' की तलाश में निकलता है, जिससे बुना गया वस्त्र कभी फीका न पड़े। उसकी यात्रा उसे एक ऐसे तूफ़ान में फँसा देती है, जो उसे सब कुछ छीनकर एक सुनसान तट पर फेंक देता है। वहाँ, वह एक साधारण महिला साधना से मिलता है, जो उसे समझाती है कि सच्ची कला बाहरी वस्तुओं से नहीं, बल्कि दूसरों की...