खूनी रंगमंच का राज़
संक्षिप्त परिचय: दिल्ली के हृदय में स्थित ‘नवसृजन कला थिएटर’ को उसकी शानदार प्रस्तुतियों और रंगकर्म के लिए जाना जाता था, लेकिन जब एक प्रमुख नाटक के मंचन के दौरान अभिनेता की मृत्यु हो जाती है, तो यह हादसा नहीं लगता। दर्शकों के सामने हुई यह ‘मौत’ धीरे-धीरे एक जटिल जाल में बदल जाती है — जहाँ पर्दे के पीछे छिपा है एक रहस्यमयी षड्यंत्र, कलात्मक ईर्ष्या और एक भूले हुए अपराध की परछाईं। डिटेक्टिव शिवा और सोनिया इस रंगमंच की परत-दर-परत खोलते हैं और एक ऐसे रहस्य से पर्दा उठाते हैं, जहाँ अभिनय और हत्या का फ़र्क मिट गया है।
प्रथम अंक — मृत्यु का अभिनय या अभिनय की मृत्यु?
दिल्ली का ‘नवसृजन कला थिएटर’ हमेशा चर्चा में रहता था, पर इस बार मंच पर चलते-चलते अभिनेता समीर खुराना की मृत्यु ने सभी को स्तब्ध कर दिया। नाटक का दृश्य ही ऐसा था — समीर को मरना था, लेकिन जब दृश्य समाप्त हुआ, वह उठ ही नहीं पाया। पहले तो दर्शकों ने इसे अत्यंत प्रभावशाली अभिनय समझा, लेकिन जब पर्दा गिरा और समीर को झिंझोड़ा गया, तब सच्चाई सामने आई — समीर मर चुका था।
डॉ. साक्षी वर्मा, जो थिएटर के दर्शकों में मौजूद थीं, ने तुरंत प्राथमिक परीक्षण किया और पाया कि उसकी नाड़ी बंद हो चुकी थी। मौत के कोई बाहरी निशान नहीं थे, लेकिन नाटक के भीतर दिए गए ‘शराब के गिलास’ में कुछ संदिग्ध था।
पुलिस को सूचना दी गई और डिटेक्टिव शिवा और सोनिया को इस रहस्य की गहराई में जाने का निमंत्रण मिला।
द्वितीय अंक — मंच की परछाइयाँ
शिवा ने मंच की बारीकी से जाँच शुरू की। उन्होंने देखा कि उस दिन प्रयोग किए गए सभी प्रॉप्स को पहले से सील नहीं किया गया था। समीर की शराब की बोतल नाटक के लेखक और निर्देशक अजय कपूर ने लास्ट मिनट पर खुद दी थी। सोनिया ने नाटक के अन्य कलाकारों और स्टाफ से बात की।
समीर का सह-कलाकार, इशांत, बेहद घबराया हुआ था। पूछने पर उसने कहा — “वो… समीर बहुत तेज़ था, उसे हर शो में हीरो की तरह पेश किया जाता था, जबकि हम सब पृष्ठभूमि में ही रह जाते थे।”
एक और अभिनेत्री, रिया सेन, जो समीर की पूर्व प्रेमिका भी रह चुकी थी, ने बताया — “समीर को धमकियाँ मिल रही थीं। पिछले हफ्ते उसके कमरे में कोई चुपचाप घुसा था। उसने मुझे बताया था कि कोई उसे ‘चुप रहने’ की कीमत चुकवाना चाहता है।”
शिवा को शक हुआ कि यह हत्या किसी पुराने राज़ से जुड़ी हो सकती है।
तृतीय अंक — डायरी, दस्तावेज़ और दिशा
समीर के ग्रीन रूम की तलाशी में एक पुरानी डायरी मिली। उसमें लिखा था:
“सालों पहले जो मैंने देखा, वह अब भी मेरे भीतर जिंदा है। ‘1997’ की वह रात, और थिएटर की छत से गिरा वह शरीर… सबको बताया तो मैं भी नहीं बचूंगा।”
शिवा ने नगर अभिलेखागार से ‘1997’ की फ़ाइलें मंगाईं। पता चला, उसी थिएटर में एक अप्रशिक्षित नवोदित अभिनेता ‘विवेक भारद्वाज’ की रहस्यमयी मृत्यु हुई थी। उसे आत्महत्या करार दिया गया था, लेकिन उस वक़्त मौजूद निर्देशक और प्रबंधक — अजय कपूर ही थे।
शिवा ने ध्यान दिया कि समीर उस रात के रहस्य को जान चुका था और संभवतः उसे सार्वजनिक करने वाला था। सोनिया ने समीर के मेलबॉक्स की जाँच की — एक मेल मिला जिसे समीर ने एक स्वतंत्र पत्रकार को भेजा था:
“मैं 1997 के ‘विवेक केस’ को खोलने जा रहा हूँ। सबूत मेरे पास है — वह रिकॉर्डिंग जो विवेक ने आख़िरी बार छत से भेजी थी।”
चतुर्थ अंक — गूंजता अतीत और बंद कमरा
शिवा ने थिएटर की छत पर जाकर वह कोना ढूँढ़ा जहाँ से विवेक की मृत्यु हुई थी। वहाँ एक पुराना टूटा कैमरा मिला, जिसके भीतर एक माइक्रो-टेप छिपा था। Tape को रिकवर करने पर उस पर विवेक की आवाज़ दर्ज थी:
“अगर मैं मरूं, तो जान लेना यह दुर्घटना नहीं। अजय कपूर ने मेरे रोल को काटा, और मुझे धमकी दी। मैं सबको बताऊंगा।”
यह टेप वह सबूत था जिसकी तलाश थी। पर अब प्रश्न था — समीर को ज़हर किसने दिया?
नाटक की तैयारी के दिन सभी को ग्रीनरूम में जाने की अनुमति थी, लेकिन प्रॉप्स को अंतिम समय पर सिर्फ़ अजय ने ही छुआ था।
शिवा ने जहर की रिपोर्ट का अध्ययन किया — यह धीमे असर वाला था, जो शरीर में घुलकर 15 मिनट में प्रभाव दिखाता था।
पंचम अंक — पर्दे के पीछे का अपराधी
थिएटर के सभी रिकॉर्ड्स, मेल्स और गवाहियों को सामने रखकर शिवा ने पूरी घटना को जोड़ा। समीर को यह भान हो चुका था कि उसकी मौत हो सकती है। इसीलिए उसने डायरी, टेप और ईमेल तीनों सबूत अलग-अलग स्थानों पर रखे थे।
शिवा और सोनिया ने अजय कपूर को आमंत्रित किया और सामने वह टेप चला दिया। अजय काँप उठा। उसने स्वीकार किया कि उसने विवेक को मंच से हटवाया था और वह उसे धमकियाँ देता था। उस रात विवेक उसे एक्सपोज़ करने वाला था, और अजय ने गुस्से में उसे छत से धक्का दे दिया।
समीर को इस सच्चाई का पता चल गया था और उसने वही टेप खोज निकाला। अजय ने पहले उसे डराया, लेकिन जब समीर झुकने को तैयार नहीं हुआ, तो अजय ने नाटक के दौरान शराब में ज़हर मिलाकर उसे ख़त्म कर दिया।
अंतिम दृश्य — न्याय और प्रकाश
अजय कपूर को गिरफ्तार किया गया। ‘नवसृजन थिएटर’ के मंच पर एक वर्ष बाद उसी नाटक का मंचन हुआ, लेकिन इस बार कहानी थी — “समीर की सत्य यात्रा”। शिवा और सोनिया दर्शकों में मौजूद थे।
शिवा ने कहा — “अपराध यदि मंच के पर्दे में छिपा भी हो, तो भी न्याय के स्वर उसे पहचान लेते हैं।”
समाप्त