अंतिम सिग्नल की गूंज
संक्षिप्त परिचय:
मुंबई के व्यस्त रेलवे नेटवर्क में एक रात्रिकालीन लोकल ट्रेन अचानक बिना किसी सूचना के रुक जाती है, और ट्रेन में सवार एक रेलवे अधिकारी अगली सुबह मृत पाया जाता है। प्रारंभिक जांच इसे हृदयगति रुकने से हुई मृत्यु मानती है, लेकिन CCTV, स्टेशन मास्टर की डायरी और एक रहस्यमयी सिग्नल रेकॉर्ड एक गहरी साजिश की ओर इशारा करते हैं। जब डिटेक्टिव शिवा और उनकी सहयोगी सोनिया इस गुत्थी को सुलझाने पहुँचते हैं, तो वे पाते हैं कि ये मामला सिर्फ़ एक हत्या का नहीं, बल्कि वर्षों पुराने सिस्टम की चुप्पियों में छिपे एक संगठित अपराध का हिस्सा है।
पहला अध्याय — रात्रि का ठहराव
तारीख थी 18 मार्च। रात के ठीक 1:26 पर वसई से चर्चगेट जा रही लोकल ट्रेन संख्या 4918 अचानक मलाड स्टेशन और गोरेगाँव स्टेशन के बीच एक सुनसान ट्रैक पर रुक गई। इस ट्रेन में कुल 28 यात्री सवार थे — सभी मध्यवर्गीय कर्मचारी, छात्र या सुरक्षा गार्ड।
जब सुबह पहली लोकल उसी ट्रैक से गुज़रने वाली थी, रेलवे ट्रैक पर गश्त कर रहे कर्मचारी ने मोटरमैन की केबिन में एक शव देखा। मृत व्यक्ति की पहचान की गई — नाम था दिनेश जाधव, उम्र 52 वर्ष, जो पश्चिम रेलवे में सिग्नल निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे और उस रात विशेष निरीक्षण के लिए ट्रेन में सवार थे।
रेलवे बोर्ड ने इसे स्वाभाविक मृत्यु घोषित कर केस बंद कर दिया।
लेकिन अगले ही दिन, जानी-मानी पत्रकार शिल्पा सेन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक कथन डाला:
“मौत आई सिग्नल के रंग में छिपकर। कौन कहेगा इसे इत्तेफाक़?”
वहीं से केस पहुँचा डिटेक्टिव शिवा और सोनिया के पास।
दूसरा अध्याय — सीटी के पीछे की आवाज़
शिवा और सोनिया ने सबसे पहले मलाड यार्ड में जाकर उस रात की ट्रेन की पूरी समय-सारिणी, ट्रैक नियंत्रण और सिग्नलिंग लॉग्स की माँग की।
शिवा ने पाया कि रात 1:24 से 1:29 तक पाँच मिनट तक लाल सिग्नल के बावजूद ट्रेन को “क्लियर” सिग्नल भेजा गया था — यानी हरी झंडी। यह एक घातक तकनीकी चूक थी।
रेलवे के नियमों के अनुसार, दोहरे संकेत (रेड + ग्रीन) कभी भी एक साथ सक्रिय नहीं हो सकते।
सोनिया ने रेकॉर्ड रूम से उस रात की सिग्नल साउंड रेकॉर्डिंग हासिल की, जिसे विश्लेषण करने पर एक असामान्य ध्वनि सुनाई दी — जैसे किसी ने सिग्नल की सीटी के ऊपर एक कोड छिपाकर भेजा हो।
तीसरा अध्याय — एक साजिश की पटरी
दिनेश जाधव की पत्नी, वसंती जाधव, ने बताया कि उनके पति पिछले दो महीने से बहुत तनाव में थे। उन्होंने एक बार कहा था —
“अगर मुझे कुछ हो जाए तो मेरी नोटबुक देखना।”
वसंती ने शिवा को एक काली डायरी सौंपी। उसमें सिग्नल कोड, समय-सारिणी के उलट पैटर्न, और कुछ कोड वाक्य लिखे थे:
“🚦S-45: डबल ग्रीन = डबल डील”
“🕒 R-9: तीसरी रात = अंतिम गवाही”
“👁 मुँह बंद करने की कीमत रेलवे बोनस से बड़ी होती है।”
शिवा ने समझ लिया — जाधव किसी बड़े भ्रष्टाचार या गुप्त लेन-देन का गवाह था।
चौथा अध्याय — स्टेशन मास्टर की चुप्पी
गोरेगाँव स्टेशन के स्टेशन मास्टर, प्रमोद ठाकुर, ने शुरुआत में कुछ भी जानकारी देने से इनकार किया। लेकिन सोनिया ने बताया कि प्रमोद के बेटे को हाल ही में रेलवे में अप्रत्याशित प्रमोशन मिला है — वह भी बिना किसी परीक्षा के।
थोड़े दबाव में आने के बाद प्रमोद ने कबूल किया कि जाधव ने उस रात एक डमी सिग्नल रूटिंग पकड़ी थी — यानी ट्रेन को रूट बदलकर माल गोदाम वाले ट्रैक पर भेजने की कोशिश की गई थी, जहाँ कुछ संदिग्ध कंटेनर लादे गए थे।
रात में कोई गैरकानूनी ट्रांज़ैक्शन हो रहा था — और जाधव उसके बीच में आ गया।
पाँचवाँ अध्याय — अंतिम सिग्नल
शिवा ने RPF (रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स) से संपर्क कर CCTV फूटेज निकाली, जो स्टेशन मास्टर रूम के बाहर की थी।
वहां 1:17 AM पर एक आदमी देखा गया — चेहरा ढंका हुआ, लेकिन उसकी चाल पहचान में आई। वह था राजन मेहता, जो रेलवे सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट का बड़ा नाम था और कई बार ‘ब्लैकलिस्ट’ हो चुका था।
राजन ने रात में प्रमोद और जाधव से बात की थी। शिवा ने प्रमोद को सामने बैठा कर सवाल किया। बहुत देर की चुप्पी के बाद वह रो पड़ा।
“दिनेश ने सिग्नल रुकवाया था, उसने रूट बदलने की कोशिश की, लेकिन राजन वहाँ पहले से था… उन्होंने उसे ट्रेन के इंजन में धक्का दे दिया, जैसे वह खुद गिर गया हो…”
अंतिम अध्याय — सत्य की गूंज
शिवा ने राजन को गिरफ्तार करवाया। जाँच में सामने आया कि रात में उस खाली ट्रैक पर लाखों रुपये के प्रतिबंधित सामान ट्रांसफर किए जाते थे। सिग्नल कोड के ज़रिए चुपचाप ट्रेन बदली जाती थी और चंद मिनटों में सौदा पूरा हो जाता था।
जाधव उन सिग्नलों को पकड़ चुका था — और उसकी जान इसकी कीमत बन गई।
कोर्ट में प्रमोद ने गवाही दी। राजन और उसके तीन सहयोगियों को आजीवन कारावास की सज़ा मिली।
शिवा ने वसंती जाधव से कहा —
“आपके पति ने आखिरी सिग्नल दिया था — और वो सच्चाई के लिए था।”
समाप्त