मौन-प्रतिमा
मौन-प्रतिमा सत्रहवीं सदी के अंत में, एक प्रसिद्ध चित्रकार सोमेश अपनी पत्नी मानसी के साथ ओडिशा के एक तटीय गाँव में आता है। वहाँ उसे एक प्राचीन और रहस्यमयी मूर्ति मिलती है, जो धीरे-धीरे उसके मन, उसके रिश्ते और उसकी मानसिक शांति को नष्ट कर देती है, जिससे वे एक भयावह और अनचाही वास्तविकता में फँस जाते हैं। सागर-ग्राम का आगमन विक्रम संवत सोलह सौ नब्बे के आसपास, एक युवा...