नीलपंखी और समय की डोरी
सारांश: यह कहानी इन्द्रलोक-छाया की नन्ही परी नीलपंखी की है, जिसके पंख आधे चमकते थे और वो ठीक से उड़ नहीं पाती थी। एक दिन, समय के रक्षक, बूढ़े कछुए घंटूराम जी ने उसे बताया कि "समय के पेड़" से "खुशियों का समय" वाली डोरी टूटकर धरती पर गिर गई है, जिसके बिना धरती से हँसी खत्म हो जाएगी। उड़ने में असमर्थ होने के बावजूद, नीलपंखी हिम्मत करके एक बोलने...