स्वप्न-बुनकर: जागृत स्वप्नों का अंतर्द्वंद्व
स्वप्न-बुनकर: जागृत स्वप्नों का अंतर्द्वंद्व स्वप्न-बुनकर: एक ऐसी दुनिया में जहाँ स्वप्न ही प्राथमिक, जीवंत वास्तविकता हैं और जागृत जीवन एक क्षणभंगुर भ्रम मात्र, एक 'निद्राहीन' युवा को पता चलता है कि स्वप्न और जागृति के बीच की सीमाएँ टूट रही हैं। उसे अपनी अद्वितीय अंतर्दृष्टि का उपयोग करके इस ब्रह्मांडीय अराजकता को समझना होगा और एक नई वास्तविकता का निर्माण करना होगा जहाँ दोनों संसार सामंजस्य में रह सकें।...