धूल भरा मंच
धूल भरा मंच शहर की आधुनिकता में खोई एक युवा थिएटर कलाकार, नैना, अपने पुश्तैनी गाँव लौटती है। उसे अपने दादाजी, कश्यप, की एक अधूरी कठपुतली कला की विरासत मिलती है। गाँव का एक स्वार्थी बिल्डर, अशोक, उनकी ज़मीन और पुराने कठपुतली मंच को हड़पना चाहता है। नैना, एक उत्साही युवा रोहन और अपने दादाजी की पुरानी दोस्त शकुंतला की मदद से, इस राज़ को उजागर करती है। पहला अध्याय:...