सूर्यकेतु का स्मृति-प्रहर
सूर्यकेतु का स्मृति-प्रहर स्मृति-लोचन, जहाँ हर याद थी एक धरोहर, एक ऐसा शहर, जहाँ हर पल था एक विचार। जब अतीत की छाया ने किया भविष्य पर वार, सूर्यकेतु ने सुलझाई थी समय की उलझी डोर। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने 'स्मृति-लोचन' का विशाल, चमकदार शहर फैला हुआ था, जो एक विशाल घड़ी के डायल जैसा दिखता था। यहाँ की हर इमारत,...