दबे पाँव
दबे पाँव सेवामुक्त पुलिस अधिकारी विश्वजीत अब एक लेखक बन गया था, पर अपने अतीत के बोझ से मुक्त नहीं हो पाया था। वह अमर नामक एक पुराने मामले को कभी नहीं सुलझा सका था। तभी, एक अज्ञात स्रोत से उसे रहस्यमय संदेश मिलने लगते हैं, जो उसे उसी मामले और एक परित्यक्त आरोग्य-सदन की ओर खींचते हैं। पुरानी फ़ाइल का भूत शिवपुर शहर की सर्द शामों में विश्वजीत की...