सूर्यकेतु का चेतना-युद्ध
सूर्यकेतु का चेतना-युद्ध चेतना-नगर, जहाँ हर भावना थी एक साझा धारा, समष्टि-चेतना ने हर मन को दिया था एक नया किनारा। पर जब हर विचार होने लगा रिक्त, शून्य, और उदासीन, सूर्यकेतु ने छेड़ी थी एक गहन, अदृश्य जंग। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने 'चेतना-नगर' का विशाल, चमकता हुआ शहर फैला हुआ था, जो एक विशाल, पारदर्शी क्वांटम-जाल के भीतर स्थित था।...