मृत-छाँव
मृत-छाँव सत्तर के दशक में एक पति-पत्नी गाँव की अजीब सी शांति की ओर खिंचते चले जाते हैं। धीरे-धीरे, उन्हें महसूस होता है कि गाँव में दोपहर के बाद किसी भी चीज़ की परछाई नहीं बनती। यह अदृश्यता उनके अस्तित्व के लिए एक भयानक ख़तरा बन जाती है, जो उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से नष्ट कर रही है। वे एक प्राचीन श्राप का हिस्सा बन जाते हैं। अमासपुर का...