मूर्तिकार का समर्पण
मूर्तिकार का समर्पण यह कहानी देवदत्त नामक एक घमंडी मूर्तिकार की है, जो अपनी कला की पूर्णता पर बहुत गर्व करता था। वह मानता था कि जीवन का सार केवल निश्चित, स्थिर रूपों में है और कला में कोई भी दोष अस्वीकार्य है। एक दिन, एक दुर्घटना में उसके हाथ कांपने लगते हैं, और उसका अभिमान टूट जाता है। अपनी खोई हुई पहचान की तलाश में, वह एक अनजानी यात्रा...