अजीब दर्पण
अजीब दर्पण सोलहवीं शताब्दी के अंत में, आगरा के एक कुशल जौहरी को एक रहस्यमयी दर्पण मिलता है। दर्पण की सतह पर एक भयावह शक्ति है, जो धीरे-धीरे उसके और उसकी पत्नी के मन में डर पैदा करती है। दर्पण की विकृत परछाइयाँ उनकी वास्तविकता को बदल देती हैं, उन्हें एक पागलपन और आतंक के गहरे दलदल में खींच लेती हैं। एक अनमोल खोज यह बात सोलहवीं शताब्दी के अंतिम...