न्याय की शक्ति
न्याय की शक्ति एक राजकुमार अपनी प्रजा को केवल राज्य की संपत्ति मानता था। उसके लिए लोगों का मूल्य उनकी उपयोगिता से मापा जाता था। एक कठिन यात्रा उसे सिखाती है कि सच्चा शासन हृदय की उदारता और दया से चलता है। सोलहवीं शताब्दी में, भारत के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में, एक अत्यंत शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य था, जिसका नाम 'सौम्यगढ़' था। यह राज्य अपनी अतुलनीय धन-दौलत, स्वर्ण और रत्नों...