शुद्धता का मूल्य
शुद्धता का मूल्य एक पर्वत की तलहटी में, निशिकेत अपनी छेनी और हथौड़े से पत्थर को आकार देता था। उसकी कला में आत्मा की पवित्रता थी, जो मात्र पैसों से नहीं तौली जा सकती थी। जब नगर से आए धनञ्जय ने अपने भव्य दिखावे से सब को मोहित किया, तब निशिकेत के मन में एक गहरा द्वंद्व छिड़ा। यह कहानी है दिखावे के शोर में खोई हुई आत्म-मूल्य की खोज...