मिट्टी के अक्षर
मिट्टी के अक्षर यह कहानी है 'ज्ञानकुंभग्राम' की 'शिल्पा' की, जिसने अपने गाँव की सदियों पुरानी 'मिट्टी के खिलौने' बनाने की कला को पुनर्जीवित किया। उसने इस पारंपरिक शिल्प को आधुनिक बाल शिक्षा और खेल-खेल में सीखने के सिद्धांतों से जोड़ा, जिससे न केवल बच्चों को अपनी संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिला, बल्कि गाँव की महिलाओं को आत्मनिर्भरता और एक रचनात्मक भविष्य की राह भी दिखाई। बचपन की खामोशी...