प्रस्तर हृदय
प्रस्तर हृदय शैलकूट राज्य में, जहाँ पत्थर ही जीवन था, अचिंत्य नाम का एक युवा मूर्तिकार परंपरा और अपनी आत्मा के बीच फंसा था। उसका परिवार पीढ़ियों से पत्थर तराशने का काम करता था, पर अचिंत्य की उँगलियाँ कठोरता से ज़्यादा भावनाओं को गढ़ना चाहती थीं। जब उसकी मुलाक़ात रेवा नाम की एक घुमक्कड़ कवि से हुई, तो उसे एक प्राचीन रहस्य का पता चला जो एक जीवित पत्थर के...