सत्य के धागे
सत्य के धागे एक विद्वान का अहंकार उसे ज्ञान के पथ से भटकाता है। एक साधारण जीवन उसे सच्ची विद्या का मार्ग दिखाता है। उसने सीखा कि ज्ञान का सच्चा सार पुस्तकों में नहीं, बल्कि मानवता की निःस्वार्थ सेवा में निहित होता है। सोलहवीं शताब्दी में, भारत के उत्तर में, हिमालय की तराई में एक भव्य और समृद्ध नगर 'हेमगिरि' स्थित था। यह नगर अपने व्यापार, कला और ज्ञान के...