अंधकार का अंत
अंधकार का अंत एक दूर-दराज के गाँव में रहने वाला प्रद्युम्न नामक युवक एक पीढ़ी-दर-पीढ़ी के श्राप के भ्रम में जीता था। वह अपने जीवन को हर तरफ से दुर्भाग्य और निराशा से घिरा हुआ देखता था। एक रहस्यमय, नेत्रहीन साधु से मिलने के बाद, प्रद्युम्न को यह बोध होता है कि जिस अंधकार से वह डरता है, वह बाहरी नहीं, बल्कि उसके अपने मन का भ्रम है, और वह...