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प्रेरणादायक ईबुक्स

अदम्य साहस की उड़ान यह कहानी है एक साधारण गाँव की असाधारण महिला, ‘अदिति’ की, जिसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर बाधा को पार किया और अपने साथ पूरे गाँव का भाग्य बदल दिया। एक छोटे गाँव की बड़ी आशा भारत के हृदय में बसा एक छोटा सा गाँव, ‘रंगपुर’, अपनी सदियों पुरानी बुनाई कला के लिए …

पहाड़ों की बेटी यह कहानी है एक पहाड़ी गाँव की साधारण लड़की, ‘साक्षी’ की, जिसने प्रकृति के साथ अपने गहरे जुड़ाव और अटूट विश्वास से अपने समुदाय के लिए एक नई दिशा तय की। शांत वादियों की अनसुनी पुकार हिमालय की गोद में बसा एक छोटा सा गाँव, ‘देवभूमि’, अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता …

नया सफर एक महिला जिसने खोई पहचान से फिर पाई रोशनी रीमा की ज़िंदगी एक चमकदार शहर के भीड़-भाड़ में कहीं खो गई थी। पढ़ाई में अव्वल, सोच में साफ़ और स्वभाव से दृढ़, रीमा कभी अपने कॉलेज की सबसे होनहार छात्रा हुआ करती थी। लेकिन शादी, परिवार और समाज के असंख्य नियमों में उसकी चमक कहीं धुंधला गई। इस …

कांच की खिड़की से

कांच की खिड़की से भाग 1: टूटी धुनों में बसी ज़िंदगी संध्या कक्कड़ हर सुबह स्कूल की म्यूज़िक रूम में हारमोनियम खोलतीं, सुर लगातीं और बच्चों को राग यमन सिखातीं। बच्चों की हँसी, उनकी बेसुरी आवाजें, सब कुछ मानो एक अस्थायी शांति देता था। लेकिन स्कूल की घंटी जैसे ही अंतिम बार बजती,संध्या के चेहरे से वो ‘शिक्षिका मुस्कान’ उतर …

दसवीं सीढ़ी पर जीवन

दसवीं सीढ़ी पर जीवन भाग 1: सीढ़ियाँ, लिफ्ट और ज़िंदगी मुंबई की हल्की सी नम और भीड़ से भरी सुबह। एक पुरानी लेकिन ऊँची इमारत — शिवांजल हाइट्स।यहाँ हर मंज़िल के पीछे कोई न कोई कहानी छुपी है, लेकिन सबसे अनकही कहानी थी… निवेदित राणा की। निवेदित राणा — एक लिफ्ट तकनीशियन। 41 वर्ष की उम्र में बालों की रेखा …

अंधेरे से उजाले तक

अंधेरे से उजाले तक भाग 1: टूटे सपनों का घर मयंक राठौर का जीवन एक थके हुए चलचित्र की तरह चल रहा था — जहाँ हर फ्रेम धुंधला था, हर सीन अधूरा। वह एक किराए के दो कमरे के मकान में रहता था, जिसकी दीवारों पर पपड़ी उतर चुकी थी और खिड़कियाँ बंद तो नहीं थीं, लेकिन उनमें देखने लायक …

आईना बोल पड़ा

आईना बोल पड़ा भाग 1: “सब ठीक है” एक झूठ है स्थान: मुंबई, मलाड के एक शांत फ्लैट का बेडरूम समय: रात के 11:12 बजे धीमी सी पीली रोशनी में बैठा था सुमित राव – 42 वर्षीय प्रोफेसर।मोबाइल की स्क्रीन पर उँगलियाँ चल रही थीं, पर आँखें… कहीं और थीं। “कविता ऑफिस से लौटने में देर हो गई है, आरव …

शून्य से शिखर तक

शून्य से शिखर तक एक टूटी-फूटी सुबह सर्दियों की एक सुस्त सुबह थी। धुंध की चादर पूरे मोहल्ले पर छाई हुई थी। मुंबई की हलचल से दूर, एक पुराना इलाका था जहाँ ज़िंदगी मानो थम सी गई थी। वहीं एक टूटी-फूटी झोपड़ी में नरेश पड़ा था — पतली, फटी हुई चादर में खुद को लपेटे हुए, जैसे अपनी ही तक़दीर …

नदी की ओर

नदी की ओर भूमिका यह कहानी है विवेक मिश्रा की — एक कॉर्पोरेट दुनिया में चमकता सितारा, लेकिन भीतर से सूना। सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचकर भी उसका मन एक खोखली शांति में भटक रहा है। एक दिन अचानक उसे एक रहस्यमय पत्र मिलता है — “अगर तुम अपने जीवन की असली नदी को पाना चाहते हो, तो चलो… जहां …

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