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तकनीक बनाम विवेक ईबुक – हिंदी: Triumph & Harmony 21

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तकनीक बनाम विवेक ईबुक : जीवन का सार

तकनीक बनाम विवेक ईबुक: अर्जुन, एक प्रतिभाशाली इंजीनियर, जो तकनीक को ही सब कुछ मानता था, महानगरों की चकाचौंध में मानवीय रिश्तों और नैतिक मूल्यों को नजरअंदाज कर देता है। उसकी सफलता उसके अहंकार को बढ़ाती है, लेकिन एक ‘स्मार्ट सिटी’ परियोजना की विफलता उसे गहरे संकट में डाल देती है।

अपनी गलतियों से टूटकर, अर्जुन अपनी ‘पुरानी जड़ों’ की ओर लौटता है, जहाँ उसे ‘अनदेखे ज्ञान’ और ‘विनम्रता का पाठ’ मिलता है, जो उसे ‘सहयोग का महत्व’ और ‘सहानुभूति का अर्थ’ सिखाते हैं।

यह कहानी अर्जुन की ‘अहंकार की उड़ान’ से ‘विवेक की जीत’ तक की हृदयस्पर्शी यात्रा है, जो दर्शाती है कि सच्ची सफलता केवल तकनीकी दक्षता में नहीं, बल्कि मानवीयता, सहयोग और नैतिक विवेक में निहित है, और जीवन में तकनीक तथा मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन बनाना ही सच्ची खुशी और संतोष का मार्ग है।

मुख्य शब्द: नैतिक कहानी, भारतीय कहानी, तकनीक और समाज, मानवीय मूल्य, विवेक, एआई, स्मार्ट सिटी, ग्रामीण जीवन, व्यक्तिगत विकास, नेतृत्व, प्रेरणादायक।


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तकनीक बनाम विवेक ईबुक : जीवन का सार

तकनीक बनाम विवेक ईबुक: क्या तकनीक ही हर समस्या का एकमात्र समाधान है? क्या डेटा और एल्गोरिदम मानवीय अंतर्ज्ञान और भावनाओं का स्थान ले सकते हैं?

मिलिए अर्जुन से, एक होनहार इंजीनियर जिसकी आँखों में दुनिया बदलने का सपना था। महानगरों की चकाचौंध और डिजिटल दुनिया की तेज़ रफ़्तार में खोकर, अर्जुन ने मानवीय रिश्तों, पारंपरिक ज्ञान और नैतिक मूल्यों को ‘अव्यवस्थित डेटा’ मान लिया।

उसकी असाधारण तकनीकी उपलब्धियों ने उसके अहंकार को बढ़ाया, और वह एक ऐसी ‘स्मार्ट सिटी’ परियोजना का नेतृत्व करने लगा, जहाँ मानवीय पहलुओं को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

लेकिन जब उसकी सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना मानवीय त्रुटियों और नैतिक विफलताओं के कारण ध्वस्त हो जाती है, तो अर्जुन को गहरा झटका लगता है। अपनी विफलताओं से टूटकर, वह अपनी ‘पुरानी जड़ों’ की ओर लौटता है – अपने शांत गाँव की ओर।

यहाँ, उसे अपने दादाजी और गाँव के सीधे-सादे लोगों से ‘अनदेखे ज्ञान’ और ‘विनम्रता का पाठ’ मिलता है। वह ‘सहयोग का महत्व’ और ‘सहानुभूति का अर्थ’ सीखता है, जो उसने शहर की भीड़ में कभी नहीं समझा था।

यह कहानी अर्जुन की ‘अहंकार की उड़ान’ से लेकर ‘विवेक की जीत’ तक की एक हृदयस्पर्शी यात्रा है। यह दर्शाती है कि सच्ची सफलता केवल तकनीकी दक्षता या भौतिकवादी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि मानवीयता, सहयोग और नैतिक विवेक में निहित है।

क्या अर्जुन तकनीक और मानवीय मूल्यों के बीच संतुलन स्थापित कर पाएगा? क्या वह एक बेहतर इंजीनियर, एक बेहतर नेता और सबसे महत्वपूर्ण, एक बेहतर इंसान बन पाएगा?

इस प्रेरणादायक गाथा को पढ़ें और जानें कि कैसे तकनीक हमें सुविधा दे सकती है, लेकिन सच्चा संतोष, खुशी और एक सार्थक जीवन केवल मानवीय संबंधों और आंतरिक विवेक से ही मिलता है।

उन सभी के लिए एक आवश्यक पठन जो तकनीक के युग में मानवीयता के महत्व को समझना चाहते हैं।

मुख्य शब्द: नैतिक कहानी, भारतीय कहानी, तकनीक और समाज, मानवीय मूल्य, विवेक, एआई, स्मार्ट सिटी, ग्रामीण जीवन, व्यक्तिगत विकास, नेतृत्व, प्रेरणादायक।


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