मेरे बुकमार्क्स

  • कोई बुकमार्क नहीं मिला

संपर्क करें

सुपरहीरो की ईबुक्स

सूर्यकेतु का स्मृति-प्रहर स्मृति-लोचन, जहाँ हर याद थी एक धरोहर, एक ऐसा शहर, जहाँ हर पल था एक विचार। जब अतीत की छाया ने किया भविष्य पर वार, सूर्यकेतु ने सुलझाई थी समय की उलझी डोर। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘स्मृति-लोचन’ का विशाल, चमकदार शहर फैला हुआ था, जो एक विशाल …

सूर्यकेतु का काल-पटल भविष्य-नगर, जहाँ समय का हर पल था निश्चित, कृत्रिम भविष्य-वाचक ने किया था हर भविष्य चित्रित। पर जब काल-चक्र ने लिया एक अनपेक्षित मोड़, सूर्यकेतु ने सुलझाई थी समय के ताने-बाने की डोर। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘भविष्य-नगर’ का विशाल, चमकदार शहर फैला हुआ था, जो एक विशाल …

सूर्यकेतु का छाया-लोक प्रकाश-पुरी, जहाँ हर श्वास में थी रोशनी, रौशनी ने हर भावना को दिया था नया रंग। पर जब छाया-जाल ने किया शहर को भयभीत, सूर्यकेतु ने सुलझाई थी गहन, अंधेरी गुत्थी। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘प्रकाश-पुरी’ का विशाल, चमकदार शहर फैला हुआ था, जो पूरी तरह से “हल्का-क्रिस्टल” …

भाव-नगर बादलों में था एक विचित्र शहर, जहाँ हर भावना थी कैद और बिखर। जब एक कृत्रिम शांति बनी विभीषिका, सूर्यकेतु ने जीवन का राग फिर से छेड़ा। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘भाव-नगर’ का विशाल, चमकदार शहर फैला हुआ था, जो पूरी तरह से हवा में तैरता था। यह एक ऐसा …

ज्ञान-नगर आकाश में तैरता ज्ञान का नगर, विचारों का था जहाँ बहता सागर। जब एक गहरा रहस्य खुलने लगा, सूर्यकेतु ने बुद्धि-परचम लहराया। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘ज्ञान-नगर’ का विशाल, चमकदार शहर फैला हुआ था। यह एक ऐसा शहर था जो पूरी तरह से हवा में तैरता था, और इसकी ऊर्जा …

मरु-नगर रेगिस्तान के दिल में एक सपना, जहाँ हरियाली थी एक जादू का नशा। जब जीवन-धारा का स्रोत था संकट में, सूर्यकेतु ने सुलझाई थी एक गहरी गुत्थी। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘मरु-नगर’ का विशाल, काँच का गुंबद फैला हुआ था। यह एक ऐसा शहर था जो पूरी तरह से एक …

नाद का रहस्य ध्वनिलोक, जहाँ हर श्वास में संगीत था, ध्वनि की ऊर्जा से ही हर पल जीवित था। पर जब नाद-ब्रह्म बना विभीषिका, सूर्यकेतु ने सुलझाई थी रहस्य की गुत्थी। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘ध्वनिलोक’ का विशाल, खोखला पहाड़ फैला हुआ था। यह एक ऐसा शहर था जो पूरी तरह …

वन-लोक वन-लोक, हरित गुंबद तले बसा, जहाँ हरियाली थी जीवन का वासा। जब पौधों का जीवन हुआ संकट में, सूर्यकेतु ने पाया एक प्राचीन रहस्य। सूर्यकेतु ने अपने प्रज्ञा-कवच के न्यूरल-विश्लेषक को सक्रिय किया। उसकी दृष्टि के सामने ‘वन-लोक’ का विशाल हरित गुंबद फैला हुआ था। यह एक ऐसा शहर था जो पूरी तरह से एक कृत्रिम बायोस्फीयर में बसा …

ध्रुवीय छाया ध्रुवीय शीतलगढ़, बर्फ में बसा शहर एक, ऊर्जा के वादे पर था जिसका हर टेक। जब मशीनी दिमाग में हुआ विद्रोह, सूर्यकेतु ने उठाया था प्रज्ञा का परचम। शीतलगढ़, धरती के उत्तरी ध्रुव पर स्थित, एक ऐसा महानगर था जो अपनी संपूर्ण ऊर्जा एक विशाल भू-तापीय संयंत्र, जिसे ‘ऊष्मा-कोष’ कहा जाता था, से प्राप्त करता था। यह शहर, …

मुखपृष्ठ
खाता
वॉलेट
बुकमार्क्स
खोजें